सरहद पर भिखारियों की जमात, आखिर कौन है इनका सरताज
प्रथम 24 न्यूज़ डेक्स।
सोनौली बॉर्डर से स्पेशल रिपोर्ट।
भारत के अंतिम छोर पर स्थित नेपाल के तलहटी से सटे सरहदी बाज़ारो एवं कस्बो में 6 वर्ष से लेकर 14 वर्ष तक के फ़टे हाल कपड़ों में दर्जनों गुटो में बंटे यह भिखारी बच्चे अपने नाजुक बाजुओ में छः माह के दुधमुंहे बच्चो को लेकर घूमते नजर आते है।
नौतनवा, सोनौली और भगवानपुर भीख मांग रहे भिखारियों में शामिल बच्चो से जब प्रथम मीडिया नेटवर्क टीम ने बात किया तो इन्होंने बताया कि, यह नई कोट व उसके आसपास के गांवों से है, वही कुछ बच्चो ने बताया कि, वह सिसवा व ठूठीबारी आदि क्षेत्र से आये है, भिखारी बच्चो ने यह भी बताया कि, कोई दीदी भैया है जिनके आश्रय पर वह यहां आएं है। हालांकि वह दीदी भैया का नाम पता पहचान नही बता सके।
नेपाल सीमाई भारतीय बाज़ारो नगर पंचायत सोनौली, नगर पालिका नौतनवा, रतनपुर, बरगदवा, ठूठीबारी, परसा मलिक एवं भगवानपुर जैसे कस्बो में यह भिखारी देखना आम बात हो गई है, विचारणीय प्रश्न यह है कि, सरहद पर इन भिखारियों की जमात का सरताज आखिर कौन है, आखिर यह किसी सुरक्षा एजेंसियों के नजर में क्यो नही आएं, कोई जांच एजेंसी सच जानने की जहमत नही उठा रही है।
नेपाल के महानगरों एवं सरहदी बाज़ारो तक पहुचते है भारतीय भिखारी
अभी पिछले माह नेपाल पुलिस ने 24 भारतीय भिखारियों के दल को गिरफ्तार करते हुवे भारत भेजा था, नेपाल पुलिस ने उस समय बताया कि, फर्जी दस्तावेज रखने और खुद को प्राकृतिक आपदा का शिकार बताने वाले 12 नाबालिगों सहित भारत के 24 भिखारियों को हिरासत में लेते हुवे उन्हें वापस (भारत) भेज दिया गया। नेपाल पुलिस के मुताबिक गिरफ्तार भिखारियों के गुट राजस्थान से ताल्लुक रखने वाले थे, इन 24 भिखारियों को भारत-नेपाल सीमा क्षेत्र के नेपाल की तरफ वाले इलाके बिर्तामोड की सड़कों पर भीख मांगते हुए हिरासत में लिया था।
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