मुस्लिमों के कारण बढ़ रही दिल्ली की आबादी, पाबंदी नहीं लगाई तो पूरा शहर…, जेएनयू रिपोर्ट से मचा देश मे हड़कंप
114 पन्नों की रिपोर्ट
जेएनयू द्वारा तैयार की गई 114 पन्नों की इस रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि अवैध प्रवासियों को मिलने वाली राजनीतिक सहायता, जैसे वोटर रजिस्ट्रेशन की सुविधा, चुनावी प्रक्रिया और लोकतांत्रिक अखंडता को लेकर चिंता पैदा कर रही है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि इन प्रवासियों की बढ़ती संख्या ने आपराधिक नेटवर्क को मजबूत किया है।
सामाजिक तनाव का स्तर भी बढ़ा
रिपोर्ट में दिल्ली में सामाजिक तनाव में बढ़ोतरी का भी उल्लेख है, जहां बांग्लादेश और म्यांमार से आए प्रवासी अक्सर स्थानीय लोगों से भेदभाव और शत्रुता का सामना करते हैं, जिससे उनके समाज में समायोजन की प्रक्रिया और जटिल हो जाती है। इससे सामाजिक तनाव का स्तर भी बढ़ा है। रिपोर्ट में यह भी चेतावनी दी गई है कि अवैध प्रवासियों के कारण सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट का जोखिम बढ़ रहा है, क्योंकि प्रवासी बस्तियों में भीड़भाड़ और अस्वास्थ्यकर परिस्थितियाँ संक्रामक बीमारियों के फैलने का कारण बन सकती हैं। इस रिपोर्ट के अनुसार, भारत-बांग्लादेश सीमा पर अवैध आव्रजन को नियंत्रित करना एक बड़ी चुनौती बन चुकी है, क्योंकि सीमित सीमा नियंत्रण के कारण प्रवासियों का लगातार आना जारी है।
दिल्ली के यातायात पर भी नकारात्मक असर डाला
इसके अतिरिक्त, रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि अवैध प्रवासियों की उपस्थिति ने दिल्ली के यातायात पर भी नकारात्मक असर डाला है। प्रवासी बस्तियों में अनियमित अपशिष्ट प्रबंधन के कारण प्रदूषण और सार्वजनिक स्वास्थ्य पर भी खतरा मंडरा रहा है। रिपोर्ट के निष्कर्षों के अनुसार, अवैध प्रवास ने आपराधिक नेटवर्क के फैलाव में मदद की है, जिससे तस्करी और मानव तस्करी जैसी गैरकानूनी गतिविधियाँ बढ़ी हैं। भारतीय जनता पार्टी के सांसद, संवित पात्रा ने जेएनयू की इस रिपोर्ट का हवाला देते हुए आम आदमी पार्टी (AAP) पर आरोप लगाया है कि इसमें उनकी महत्वपूर्ण भूमिका है।
Post a Comment