नेपाल की गिरती अर्थव्यवस्था पर एशियाड विशेषज्ञों ने जताई चिंता: आधी नेपाल की जनता पलायन - प्रथम 24 न्यूज़

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नेपाल की गिरती अर्थव्यवस्था पर एशियाड विशेषज्ञों ने जताई चिंता: आधी नेपाल की जनता पलायन


🗣️ 62 रुपये 50 पैसे के खुद के चक्रव्यूह की फंस गया

🗣️ नेपाल लाखो लोगो ने नेपाल से किया पलायन


महराजगंज डेक्स।

भारत नेपाल का रिश्ता रोटी बेटी के धागे से जुड़ा था जो आज दाव पर आ गया है, इसका जिम्मेदार खुद नेपाल की सरकार और तानाशाही भंसार कार्यालय की देन है। विश्व के अर्थशास्त्रियों की माने तो नेपाल अपने खुद के चक्रव्यूह रचना में ही फंस गया है। नेपाल सरकार और भंसार कार्यालय की तानाशाही ने नेपाल 1950 के भारत नेपाल संधि का हवाला देते हुवे 62 रुपये 50 पैसे के खुद के चक्रव्यूह की रचना की मगर नेपाल को क्या पता कि, वह उससे निकल नही पायेगा। इस चक्रव्यूह के कारण लाखों की आबादी नेपाल से पलायन कर रोजी रोटी के लिए पड़ोसी देशों सहित अन्य देशों में निकल गए।

एशिया के जाने माने अर्थशास्त्री दिग्विजय पंथ की माने तो नेपाल आज अपने अस्तित्व को लेकर जद्दोजहद कर रहा है और इसका जिम्मेदार खुद नेपाल का भारत के खिलाफ बनाये गए नए नियम है, पंथ ने न्यूज़ एजेंसी प्रथम मीडिया नेटवर्क को बताया कि, भारत नेपाल की खुली सीमा व रोजगार और औपचारिक रिश्ते को लेकर खटास पैदा कर दी, भारतीय नागरिकों एवं पर्यटकों के साथ नेपाल में हो रहे दुर्व्यवहार दुनिया से छिपा नही है, वही भारतीय बाज़ारो से 100 रुपये का सामान लाने पर कर ने नेपाल की अर्थव्यवस्था जो बेपटरी करने में अहम भूमिका अदा किया है।

श्रीनिवासन स्वामी ने न्यूज़ एजेंसी को बताया कि, 1950 की संधि एक औपचारिक व्यवस्था था, उस दौर में 100 रुपये में गाड़ी भर कर सामान नेपाल जाता था, यह 100 रुपये का नियम खास तौर पर नेपाल में सामान लेकर जाने पर कारोबार सामान पर लागू किया गया था, मगर आज की महंगाई में 100 रुपये से अधिक का सामान जेब मे ही आ जाती है।

भारत नेपाल के सरहदी बाजार सोनौली बॉर्डर के निवासी एवं उत्तर प्रदेश उद्योग व्यापार प्रतिनिधि मंडल नौतनवा तहसील अध्यक्ष सुभाष जायसवाल ने बताया कि, भारत से हजारो लोग रोजाना नेपाल भ्रमण के लिए जाते थे, इसमे से सबसे अधिक संख्या बॉर्डर के व्यापारियों एवं उनके परिजनों की होती थी, व्यापारी जब कमाएगा तभी खर्च कर पायेगा, सुभाष जायसवाल ने बताया कि, नेपाल के नियम ने भारतीय बाज़ारो को नही तोड़ा बल्कि उसने भारतीय सीमाई क्षेत्रो से सटे नेपाली बाज़ारो को भी तोड़ दिया है।

विदित हो कि, जहा भारतीय क्षेत्र सोनौली बॉर्डर के बाजार का कारोबार रोजाना का 3 करोड़ पार था, वही नेपाल के बेलहिया एवं भैरहवा सहित बुटवल के बाजार का दबदबा गोरखपुर तक बना हुआ था, मगर नेपाल के नियम से भारतीय ग्राहकों एवं पर्यटकों व भ्रमणशील व्यक्तियों का मोह भंग हो गया है, पहाड़ो की सैरसपाटे पर जाने वाले अब भारत के विभिन्न क्षेत्रों में भ्रमण कर रहे है।

जिस कारण नेपाल के अर्थव्यवस्था पर भारी चोट पहुचा है, नेपाल में पैसे की कमी ने देशी विदेशी आयात और निर्यात में भारी कमी कर दी है जिससे नेपाल की अर्थ व्यवस्था धरासायी हो गई है।

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