भारतीय फूलमालाओं के आयात पर प्रतिबंध के बाद प्लास्टिक की मालाओं से पट गया नेपाली बाजार
नेपाल डेक्स।
नेपाल में त्योहारों पर फूलमालाओं की मांग काफी बढ़ जाती है, वही कारोबारी फूलमालाओं की मुहमांगी कीमत वसूलते है, भारत से आयात किया गया फूलमालाएं नेपाल के फूलमालाओं से काफी सस्ती एवं बढ़िया होती है, मगर देश मे फूलमाला की उत्पादकता कारोबार को बढ़ाने की दिशा में काम कर रहे सरकार ने भारतीय फूलमालाओं के आयात पर प्रतिबंध लगा दिया, जिससे नेपाल में फूलमालाओं के दाम आम नेपाली नागरिक की पहुच से बाहर हो गया, वही अब कृत्रिम फूलों और मालाओं के इस्तेमाल का चलन बढ़ गया है।
जानकारी देते चले कि, भाई टीका पर्व नेपाल के सबसे बड़े पर्व में से एक है, इस पर्व पर फूलमाला की भारी मांग रहती है, मांग इतनी होती है कि, नेपाल में उत्पादित फूल से पूर्ति संभव नही है। नेपाल में भारतीय फूलमाला की उपलब्धता नही होने से इस बार त्यौहार के दौरान कृत्रिम फूलों और मालाओं की मांग शुरू हो गई है।
भारत नेपाल के सरहद से 6 किमी दूर सबसे बड़े बाजार के रूप में तौलीहवा बाजार, और रूपनदेही के भैरहवा में अब पूरी तरह से कृत्रिम फूलों और मालाओं से पट गया है। बताया जा रहा है कि, परंपरागत फूलमालाओं की कमी के कारण त्यौहार के लिए व्यापारियों ने अपनी दुकानों को विभिन्न प्रकार के कृत्रिम फूल मालाओं से सजाया है।
कपिलवस्तु के बाणगंगा और शिवपुर नगर पालिकाओं के कुछ युवा कुछ वर्षों से फूलों के व्यवसायिक कारोबारी रहे हैं। लेकिन जिले के दक्षिणी भाग में उपभोक्ता की पूर्ति और मांग पूरी नही करने के कारण अब उपभोक्ता कृत्रिम फूलों की ओर आकर्षित हो रहा हैं, व्यापारियों का कहना है कि मखमल और सौ पंखुड़ी वाले फूलों की कमी के बाद यहां के बाजार में प्लास्टिक की मालाओं का कारोबार बढ़ गया है। त्यौहार को लक्ष्य कर व्यापारी भारत से फूलमालाओं के ना ला पाने के कारण अब रंग-बिरंगी प्लास्टिक की मालाएं लेकर आए हैं। रंगीचांगी प्लास्टिक से बनी कृत्रिम मालाएं तौलियाहवा, चार नंबर कृष्णानगर, चंद्रौटा सहित अन्य बाजारों और जिले के विभिन्न स्थानों पर लगने वाले साप्ताहिक हाट बाजार में बिक्री के लिए रखी गई हैं।
तौलियाहवा हाट बाजार के व्यापारी लल्लू गुप्ता ने बताया कि पिछले कुछ वर्षों से बाजार में भारतीय फूल आना बंद होने के बाद प्लास्टिक की मालाओं ने ग्राहकों को आकर्षित किया है। गुप्ता ने बताया कि रक्षाबंधन के बाद भाइटिका में मालाएं सबसे ज्यादा बिकती हैं, इसलिए वह भारत से इस बार प्लास्टिक मालाएं आदि लाए हैं। उन्होंने कहा कि त्यौहार में गेंदा फूलमाला की कीमत इस बार 1500 रुपये से लेकर 4500 रुपये तक की मालाएं बिकेंगी। तौहिलवा के व्यवसायी बृजेश भट्टराई ने कहा कि, इस बार भारत से गेंदा फूल उन्हें नही ला पाने का मलाल है, उन्होंने बताया कि भारतीय गेंदा फूलमाला नही होने से ग्राहक प्लास्टिक की मालाएं खरीद रहे हैं। प्रत्येक माला व्यवसायी ने कहा कि इस बार प्रति कारोबारी कम से कम 50 हजार से एक लाख तक का कारोबार होगा। जो घाटे का सौदा है।
कपिलवस्तु नगरपालिका-1 की मोनिका गुप्ता ने कहा कि भारतीय गेंदा माला मिलना बंद होने के बाद उन्हें प्लास्टिक की माला खरीदने को मजबूर होना पड़ा। उन्होंने कहा, 'पहले घर, गांव, मोहल्ले हर जगह फूल मिल जाते थे, लेकिन अब फूल नजर नहीं आते, उन्होंने कहा कि तौलिहवा बाजार में सौ पत्ती वाला फूल मिलना अब मुश्किल है।
कृषि ज्ञान केंद्र के अनुसार जिले में एक-दो लोगों को छोड़कर अन्य लोग व्यवसायिक फूलों की खेती नहीं कर रहे हैं, इंडस्ट्री एंड कॉमर्स एसोसिएशन के सचिव अर्जुन चपागाई ने कहा कि भारत से आयातित इन फूलों की वजह से विदेशी लोग सालाना लाखों रुपये कमाते हैं, उनका कहना है कि जिले व देश में स्वदेशीय व्यावसायिक फूलों की खेती और उत्पादन उद्योग बड़े स्तर पर बढ़ाने का जोर दिया।
Post a Comment