चीनी की कालाबाज़ारी से उपभोक्ता परेशान: कारोबारी मालामाल - प्रथम 24 न्यूज़

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चीनी की कालाबाज़ारी से उपभोक्ता परेशान: कारोबारी मालामाल


सोनौली में 39 रुपए और भैरहवा में 90 रुपए में बिक रहा चीनी 


सोनौली महराजगंज।

भारत नेपाल सीमा से सटे रूपनदेही जिले में चीनी की कालाबाजारी बड़े पैमाने पर शुरू हो गयी है। नेपाल में दशहरा पर्व पर चीनी की महंगाई ने उपभोक्ता को परेशान कर दिया है। नेपाल प्रशासन द्वारा पर्व को लेकर प्रत्येक नागरिक को दो किलो चीनी सस्ते दर पर मुहैया करा रहा है। दो किलो चीनी लेने के लिए उपभोक्ताओं को दो किमी लाइन लगाकर चीनी लेने को मजबूर है। भारत नेपाल के सीमावर्ती बाजार सोनौली, ठूठीबारी, बरगदवा, भगवानपुर, परसा मलिक खनुवा में नेपाली ग्राहक सबसे ज्यादा चीनी की खरीदारी करने पहुच रहे है। 
नेपाल के खुले बाजार में चीनी की कालाबाजारी हो रही है, भारतीय सीमावर्ती बाजार से चीनी तस्करी के द्वारा नेपाली गोदाम में डंप किया जा रहा है।

काठमांडू नेपाल में व्यापारी एक किलो चीनी 150 से 160 रुपये नेपाली मुद्रा तक बेच रहे हैं। नारायण घाट में 140 रुपए, पोखरा में 140 रुपए बुटवल में 120 रुपए और भैरहवा नवलपरासी में 110 रुपए नेपाली मुद्रा में चीनी की बिक्री हो रही है। कुछ उपभोक्ताओं की शिकायत है कि उन्हें कालाबाजारी की चीनी भी नहीं मिल रही है, एक उपभोक्ता चूड़ामणि शर्मा निवासी बुटवल ने कहा कि भारतीय सीमा से 2 से 3 किलो चीनी ही ला पा रहे है, उन्होंने बताया कि'अगर मैं भारत के दुकानों पर चीनी खरीदने जाता हूं तो  साहूकार चीनी के साथ दूसरा माल खरीदने के शर्त पर ही चीनी दे रहा है, वही जब नेपाल के व्यापारी मांग कर रहे होते हैं तब भी सरकार चीनी मामले पर चुप रहती है।

नेपाल रिटेल ट्रेड एसोसिएशन के कोषाध्यक्ष वसंत श्रेष्ठ ने कहा कि बाजार में चीनी की कमी के कारण कालाबाजारी शुरू हुई है। उन्होंने कहा, ''मांग के आधार पर देश मे चीनी नहीं है।'' उन्होंने कहा कि संघ 115 रुपये में एक किलो चीनी देने की पहल कर रहा है। 50 किलो की 380 बोरी चीनी बाजार में भेजी गयी। लेकिन मांग अधिक होने से बाजार में इसका मूल्य कम नही हो रहा। काठमांडू घाटी में प्रतिदिन हजार बोरी चीनी की मांग हो रही है तो तीन से चार सौ बोरी चीनी बाजार में भेजने से कालाबाजारी पर कोई नियंत्रण नहीं है। 

व्यापारियों का कहना है कि नेपाल चीनी उद्योग संघ ने सरकारी अधिकारियों को आश्वासन दिया है कि बाजार की मांग के अनुसार किसी भी समय चीनी उपलब्ध कराई जा सकती है, लेकिन अब इसकी कमी है क्योंकि जरूरत पड़ने पर चीनी नहीं दी जाती है। एक सरकारी अधिकारी ने कहा कि जब तक विदेश से चीनी नहीं आ जाती, तब तक नेपाली उद्योग की चीनी बेची जाएगी।

उद्योगपतियों और व्यवसायियों के गोदामों में 180 हजार क्विंटल से ज्यादा चीनी है, लेकिन उपभोक्ताओं को यह आसानी से नहीं मिल पा रही है. उद्योग, वाणिज्य एवं आपूर्ति मंत्रालय ने जानकारी दी है कि बाजार में चीनी की कमी को रोकने के लिए उद्योगपतियों और कारोबारियों को बुलाकर बातचीत किया जा रहा है। नेपाल सरकार ने साल्ट ट्रेडिंग कॉरपोरेशन और फूड सप्लाई एंड ट्रेडिंग कंपनी को 10,000 मीट्रिक टन चीनी आयात करने की इजाजत दे दी है।

रमेश झा ने कहा की भारत द्वारा चीनी निर्यात पर प्रतिबंध लगाने से भी समस्या पैदा हुई है। 'भारत ने निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया है, 'समय कम होने के कारण टेंडर करना और दूसरे देशों से लाना संभव नहीं था।' उन्होंने कहा कि भारत से चीनी लाने का प्रयास किया जा रहा है।

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