अंतरराष्ट्रीय सीमा सोनौली में मनाया गया कारगिल विजय दिवस
प्रथम मीडिया नेटवर्क।
सोनौली महराजगंज।
कारगिल विजय दिवस पर अंतरराष्ट्रीय बॉर्डर सोनौली नो मेंस लैंड पर आज भारतीय जनता पार्टी के मंडल उपाध्यक्ष प्रेम जायसवाल के अगुवाई मे विजय दिवस के मौके पर एसएसबी व पुलिस जवानों के साथ मिठाईयां बाट कर विजय दिवस मनाया गया।
इस मौके पर स्थानीय जनता व एसएसबी जवान व पुलिस जवान को भाजपा युवा नेता नरेन्द्र तिवारी, नगर पंचायत सोनौली के प्रमुख युवा समाज सेवी सोनू साहू, सत्येन्द्र सिंह, समाजवादी लोहिया वाहिनी प्रदेश सचिव संजय कन्नौजिया ने मिठाई खिला कर विजय उत्सव के मौके पर सेनाओं का हौसला अफजाई किया।
आइये जानते है आज इस विशेष मौके पर इतिहास को......
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कारगिल विजय दिवस स्वतंत्र भारत के सभी देशवासियों के लिए एक बहुत ही महत्वपूर्ण दिवस है। भारत में प्रत्येक वर्ष 26 जुलाई को यह दिवस मनाया जाता है। इस दिन भारत और पाकिस्तान की सेनाओं के बीच वर्ष 1999 में कारगिल युद्ध हुआ था जो लगभग 60 दिनों तक चला और 26 जुलाई के दिन उसका अंत हुआ और इसमें भारत विजय हुआ। कारगिल विजय दिवस युद्ध में शहीद हुए भारतीय जवानों के सम्मान हेतु यह दिवस मनाया जाता है।
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1971 के भारत-पाक युद्ध के बाद भी कई दिन सैन्य संघर्ष होता रहा। इतिहास के मुताबित दोनों देशों द्वारा परमाणु परीक्षण के कारण तनाव और बढ़ गया था। स्थिति को शांत करने के लिए दोनों देशों ने फरवरी 1999 में लाहौर में घोषणा पत्र पर हस्ताक्षर किए। जिसमें कश्मीर मुद्दे को द्विपक्षीय वार्ता द्वारा शांतिपूर्ण ढंग से हल करने का वादा किया गया था। लेकिन पाकिस्तान ने अपने सैनिकों और अर्ध-सैनिक बलों को छिपाकर नियंत्रण रेखा के पार भेजने लगा और इस घुसपैठ का नाम "ऑपरेशन बद्र" रखा था। इसका मुख्य उद्देश्य कश्मीर और लद्दाख के बीच की कड़ी को तोड़ना और भारतीय सेना को सियाचिन ग्लेशियर से हटाना था। पाकिस्तान यह भी मानता है कि इस क्षेत्र में किसी भी प्रकार के तनाव से कश्मीर मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय मुद्दा बनाने में मदद मिलेगी।
प्रारम्भ में इसे घुसपैठ मान लिया था और दावा किया गया कि इन्हें कुछ ही दिनों में बाहर कर दिया जाएगा। लेकिन नियंत्रण रेखा में खोज के बाद और इन घुसपैठियों के नियोजित रणनीति में अंतर का पता चलने के बाद भारतीय सेना को अहसास हो गया कि हमले की योजना बहुत बड़े पैमाने पर किया गया है। इसके बाद भारत सरकार ने ऑपरेशन विजय नाम से 2,00,000 सैनिकों को भेजा। यह युद्ध आधिकारिक रूप से 26 जुलाई 1999 को समाप्त हुआ। इस युद्ध के दौरान 550 सैनिकों ने अपने जीवन का बलिदान दिया और 1400 के करीब घायल हुए थे।
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