महराजगंज का लाल बॉर्डर पर शहीद, जनपद में फैली शोक की लहर - प्रथम 24 न्यूज़

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महराजगंज का लाल बॉर्डर पर शहीद, जनपद में फैली शोक की लहर



सुनील कुमार।

महराजगंज डेक्स।


पाकिस्तान की गोलीबारी में जम्मू कश्मीर के चिनाव नदी के किनारे उत्तर प्रदेश के महराजगंज का लाल 'चंद्रबदन शर्मा' शहीद हो गए। उनके शहादत की खबर शनिवार की सुबह जैसे ही गांव सिसवनियां में पहुंची, परिजन समेत क्षेत्रवासी फूट-फूट कर रो पड़ें। चंद्रबदन के शहादत पर पिता बोले कि उन्हें गर्व है कि उनका बेटा देश के लिए शहीद हुआ है। वहीं गांववालों ने पाकिस्तान की कायराना हरकत के खिलाफ आक्रोश प्रकट किया। परिजनों के मुताबिक रविवार की सुबह तक पार्थिव शरीर घर पहुंचेगा।


शनिवार की सुबह को सिसवनियां गांव में शहीद चंद्रबदन शर्मा (24) के घर पर लोग उमड़े पड़े। सभी लोग शहीद के परिजनों को ढांढस बधाने में लगे रहे। दोपहर तक शहीद के घर पर जनसैलाब उमड़ पड़ा। शहीद के पिता भोला शर्मा गुजरात में रहकर काम करते हैं। उनके बेटे की शहादत की जानकारी हुई तो वह बेहोश हो गए। होश में आने के बाद वह घर के लिए रवाना हो गए।



⭐ परिवार में सबसे बड़े थे चंद्रबदन

शहीद चंद्रबंदन परिवार में सबसे बड़े थे। उनका छोटा भाई विमल शर्मा प्रयागराज में रहकर प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी में है। वहीं बहन काजल भी गोरखपुर में रहकर प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी में हैं। चंद्रबदन अपने भाई-बहन की पढ़ाई को लेकर बेहद गंभीर रहते थे। समय-समय पर उन्हें फोन पर ही मार्ग दर्शन देते थे। भाई के शहादत की खबर सुनकर छोटे भाई एवं बहन की अश्रूधारा फूट पड़ी।


वर्ष 2000 में शहीद के मां हुआ था निधन

शहीद चंद्रबदन की मां का निधन वर्ष 2000 में हुआ था। मां के देहांत के बाद चंद्रबदन अपने भाई बहन की परवरिश को लेकर बहुत गंभीर रहते थे। यही कारण था कि दोनों को कामयाब बनाने के लिए बड़े शहर में परीक्षा की तैयारी करने के लिए भेजा था।



शहीद चंद्रबदन की नहीं हुई थी शादी

पारिवारिक जिम्मेदारियों के बोझ से दबे चंद्रबदन की अभी शादी नहीं हुई थी। उनका सपना था कि अपने दोनों भाई बहन को कामयाब बना दें। वह भी अच्छी नौकरी करें। इसके लिए भाई बहन को प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी करने के लिए भेजे थे।


मार्च में तीन साल पूरा होता नौकरी करते

राम बदन की सेना में सिग्नल कोर में तैनाती मार्च 2018 में हुई थी। मार्च माह में नौकरी करते हुए उन्हें तीन साल पूरा होता। लेकिन इसके पहले ही वह शहीद होकर इतिहास के पन्नों में अमर हो गए। नौकरी में जाने के बाद वह पारिवार की हर छोटी बड़ी जिम्मेदारी को बखूबी निभाते रहे।


घर आने के पहले आया शहीद होने का पैगाम

शहीद चंद्रबदन ने घर आने के लिए छुट्टी ले रखी थी। 10 फरवरी को उनकी छुट्टी एक माह के लिए स्वीकृत थी। उन्होंने फोन से अपने भाई एवं बहन को इसकी जानकारी दी थी। लेकिन किसी को यह पता नहीं था कि वह स्वयं नहीं तिरंगे में लिपटकर आएंगे। उनके घर आने से पहले ही शहीद होने का संदेश आ गया और सभी फफक पड़ें।


खबर सुनते ही दादी बुआ बेहोश हुई

शहीद चंद्रबदन शर्मा की दादी रामरति देवी का रो-रोकर बुरा हाल है। वह कह रही थी कि बाबू 10 फरवरी को आने वाले थे। उनके शहादत की सूचना मिली। यह कहकर रोते हुए बेहोश हो गई। यहीं हाल शहीद की बुआ श्रीपति देवी का रहा। गांव के लोगों ने बताया कि शहीद की दादी आंख का इलाज कराने के बाद घर लौटी थीं तो उन्हें यह जानकारी हुई।

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