कुर्बानी हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम की अज़ीम सुन्नत है---मौलाना कारी नूरुलहुदा मिस्बाही
लक्ष्मीपुर/मोहनापुर/पुरन्दरपुर से वसीम खान की रिपोर्ट
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ईद उल अजहा का नाम जबान पर आते ही उस अज़ीम (विशाल) क़ुर्बानी की याद ताज़ा हो जाती है जिसका तअल्लुक हजरत इब्राहिम अलैहिस्सलाम और हजरत इस्माइल अलैहिस्सलाम से है उक्त बातें मौलाना कारी नूरुलहुदा मिस्बाही सीनियर सहाफी उर्दू व सहायक अध्यापक मदरसा अरबिया सईदुल उलूम एकमा डिपो महराजगंज ने एक विज्ञप्ति में कही, उन्होंने कहा कि यूं तो मजहब-ए- इस्लाम में जितने भी त्यौहार और खुशी के दिन हैं वह किसी न किसी ख़ास वाक़िआ और पसमंजर (पृष्ठ भूमि)की तरफ इशारा करते हैं, लेकिन ईद उल अज़हा कापसमंजर (पृष्ठ भूमि)सबसे अलग है। ईद उल अज़हा के मुबारक (शुभ) दिनों में अल्लाह को राज़ी करने के लिए उसके नाम पर खास क़िस्म का जानवर ज़िबह करके हजरत इब्राहिम अलैहीस्सलाम की क़ुर्बानी की याद मनाई जाती है। जिससे मुसलमानों को अल्लाह के नाम पर सब कुछ कुर्बान करने का जज़्बा मिलता है। अल्लाह का फज़्ल और उसका एहसान है कि इस बार भी हमें यह बाबरकतमौका (शुभ औसर)नसीब हुआ। लेकिन दुख स इस बात का है की ईद उल अजहा का त्योहार पूर्व की तरह आजादी के साथ नहीं मनाया जा सकेगा। कारण बिल्कुल स्पष्ट है , कि आज हिंदुस्तान समेत दुनिया के अधिकतर देश करोना महामारी की मुसीबत झेल रहे हैं । सच्चाई यह है कि कोरोना उस खतरनाक मर्ज का नाम है जिसने अब तक लाखों लोगों को अपनी खुराक बना लिया और करोड़ों लोग आज भी उसकी वजह से जिंदगी और मौत की जंग लड़ रहे हैं । यही कारण है कि कोरोना के डर ने पूरी दुनिया के लोगों की रात की नींद और दिन का चैन छीन लिया है। इस महामारी को गंभीरता से लेते हुए इसकी रोकथाम के लिए केंद्र और राज्य सरकार ने लगभग 4 महीने से पूरे देश में लाकडाउन घोषित कर रखा है। यह महामारी देशवासियों पर कब तक हावी रहेगी इसके बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता। ऐसे भयानक दौर में एक ज़िम्मेदार देशवासी होने के नाते हमारा यह फर्ज बनता है कि हम ईद उल अजहा का त्यौहार इस तौर पर मनाएं की धार्मिक कानून के साथ-साथ सरकार द्वारा जारी गाइडलाइन पर भी अमल हो जाए। ईदगाह में सोशल डिसटेनसिंग के साथ सिर्फ 5 लोग ही ईद उल अज़हा की नमाज अदा करें बाक़ी लोग जामिया अशर्फियां के मुफ्ती निज़ामुद्दीन रिज़वी के फत्वा के हिसाब से अपने अपने घरों में ही नफ़्ल नमाज़ अदा करें। जहां तक कुर्बानी का सवाल है तो सरकार द्वारा जारी गाइडलाइन में इसकी इजाज़त दी गई है , लेकिन शर्त यह है की लोग कुर्बानी अपने घर पर ही करें तथा पर्दे और साफ़ सफाई का खास ख्याल रखें ताकि आपकी वजहसे किसी को कोई तकलीफ न होने पाए। कुर्बानी का गोश्त तकसीम ते वक्त अपने गरीब पड़ोसियों और रिश्तेदारों का भी खासतौर से ख्याल रखें। इस मौके पर नुमाइश और दिखावा बिल्कुल न करें क्योंकि ऐसा करने से दीनी नुकसान के साथ-साथ दुनियावी नुक़सान भी हो सकता है।
मसअला! क़ुर्बानी हर मालिक-ए-निसाब पर वाजिब है। मालिक-ए-निसाब वह मर्द/औरत है जो 653.184ग्राम चांदी या उसकी क़ीमत का मालिक हो। आज की तारीख में उसकी क़ीमत 42457.00रुपए है।
इस के अलावा कोई व्यक्ति कुछ रुपए और कुछ चांदी का मालिक है, तो चांदी की क़ीमत और नक़द रुपए दोनों को मिलाकर अगर निसाब को पहुंच जाए तो भी क़ुर्बानी वाजिब है।
अगर एक घर में कई लोग मालिक-ए-निसाब हों तो उन सब पर क़ुर्बानी वाजिब है।
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