नेपाल में रेडबुल की बढ़ी डिमाण्ड: तस्करी के माध्यम से शुरू हुआ निर्यात
तहसील प्रतिनिधि: असलम खान
सोनौली/नौतनवा महराजगंज।
भारत नेपाल की खुली सीमा त्योहारों में हुआ रौशन, पगडंडियां बनी तस्करी का पर्याय, तस्करो के हौसले बुलंद, किसी भी हद तक पहुचने को तैयार, कहानी तस्करी की सोनौली में है चौकाने वाली बात, पगडंडियों के रास्ते रात हो या दिन तस्करो की चांदी ही चांदी है।
तीन पगडंडियाँ है तस्करो का प्रमुख मार्ग
आज बात कर रहे है सोनौली नगर पंचायत के तीन पगडंडियों की जहा से लाखों रुपये के सामान निर्वाध इधर से उधर कर दिया जाता है, वही सुरक्षा एजेंसियों की आंखों में धूल झोंकने के लिए विद्यालय की छुट्टी में लौटते बच्चो की भीड़ का भरपूर लाभ उठाते दिखाई देते है। वही सुबह शाम और देर रात श्यामकाठ के पूरब पगडंडी प्रमुख तस्करी का मार्ग बन जाता, वही जसवल गाव के रास्ते लाखो रुपये के सामान भारत से निर्यात कर दिया जाता है।
तीन ठेकानो से 80 लाख निर्यात भारत से रोजाना
तस्करी में संलिप्त सूत्रों के हवाले से जानकारी मिली कि, मौजूदा तीनो पगडंडियां भारत से निर्यात के मामले में प्रतिदिन ₹80 लाख से अधिक का होता है, वही तस्करो में ऐसे लड़को की भर्ती किया गया है जो किसी भी हद तक जा सकते है, यह लड़के रेकी से लेकर तस्करी में लगे कैरियर तस्करो की सुरक्षा का काम बखुबी निभाते नजर आते है, यही नही यह लोग रेकी के दौरान राहगीरों के हाथों की मोबाइल पर खासा नजर रखते है।
तस्करी में संलिप्त सूत्रों से यह भी जानकारी मिली कि, तस्करो का नया पनाहगाह के रूप में वाल्मीकि नगर का मुहल्ला नई बस्ती (भट्ठा) बनाया गया है, इस मोहल्ले का उपयोग बेहद खास माना जाता है, क्योंकि इस मुहल्ले के सामने नेपाल बॉर्डर है, और बेहद घनी आबादी बहुलता होने के कारण सुरक्षा एजेंसियों की नजरों से भरपूर बचाव भी हो जाता है। वही कुछ गोदाम जानकी नगर मक्की मस्जिद के बीच बनाया गया है, जबकि कुछ गोदाम एसएसबी रोड के वाल्मीकि नगर वार्ड में भी बनाया गया है। जो तस्करी के काम मे सुरक्षित ठेगाना माना जाता है।
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