सोनौली महराजगंज यूपीः रोहिन नदी में बढ़ रहा जलस्तर, जद में कई रिहायशी क्षेत्र - प्रथम 24 न्यूज़

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सोनौली महराजगंज यूपीः रोहिन नदी में बढ़ रहा जलस्तर, जद में कई रिहायशी क्षेत्र


सोनौली महराजगंज।

रोहिन नदी अभी हालांकि खतरे के निशान तक नही पहुचा है, मगर बढ़ती जलस्तर ने नदी के किनारों पर स्थित रिहायशी इलाकों के निवासियों के माथे पर चिंता की लकीर खींच दी है, ग्रामीणों का कहना है कि, हर वर्ष की भांति यह वर्ष भी नदी बहुतायत मकानों जमीनों को निगल जाएगा, नदी का तटबन्ध ना होने से यह नदी हम लोगो के लिए खतरा जरूर बन गई है।


यूपी के महराजगंज में नेपाल से आने वाली पहाड़ी नदी रोहिनी से बाढ़ के कारण हालात बिगड़ने लगे हैं, रोहिन नदी में नेपाल से पानी छोड़े जाने के कारण उफान उठने के बाद नदी किनारों को काटना शुरू कर देती है, अब चुकी यह नदी अपना नया रास्ता बनाते हुवे ज्यादातर गावो के पास से होकर चल रही है जिससे रोहिनी नदी के किनारों पर स्थित गांव को लीलने को आतुर रोहिनी नदी अपना प्रचण्ड रूप कब अख्तियार कर रौद्र रूप दिखाते हुवे कब गावो को अपने साथ बहा ले जाएं। 

श्यामकाठ और खजुरिया में रोहिनी नदी इस बार दिखा सकती है रूद्रावतार

रोहिनी नदी के बढ़ते जलस्तर से खजुरिया, श्यामकाठ सहित कई छोटे बड़े टोले मुहल्ले है, जो रेड जोन में माने जा रहे है, वही आज तक रोहिनी नदी पर श्यामकाठ से रतनपुर के बीच तटबंध का निर्माण ना कराया जाना भी संदेह उत्पन्न कर रहा है, इनमे से कई टोले मुहल्ले के ऐसे मकान भी है जो नदी से मात्र 5 फिट दूरी रह गई है, आज यह गांव, मुहल्ले, टोले अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ते नजर आ रहे है।

2021 में जब सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी) के आउट पोस्ट की 60 फीट बाउंड्री जब हो गई ध्वस्त

नेपाल के हिमायली पहाड़ी नदी महाव में बीते वर्ष 2021 में बढ़े जलस्तर ने बड़ी तबाही मचाई थी। महाव के उफान से नेपाल बॉर्डर पर तैनात सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी) का झिंगटी में बने बॉर्डर आउट पोस्ट (बीओपी) की करीब 60 फीट बाउंड्री ध्वस्त हो गई थी झरही नदी के उफान से राजाबारी गांव के पूरब का बंधा टूट गया था जिसके बाद ठूठीबारी के कई घरों में पानी घुस गया, वही  ठूठीबारी-नौतनवां मार्ग के किनारे घरों में नाले का पानी घुसने से लोगो को भारी समस्याओं का सामना करना पड़ा था।

पिछले वर्ष जब हजारो हेक्टेयर फसल को बाढ़ ने निगल लिया

पहाड़ी नदियों में सुमार रोहिनी हो या महाव, नेपाल से आने के कारण इन पहाड़ी नदियों में बरसात के समय नेपाल लाखो क्यूसेक पानी छोड़ देता है जिससे भारतीय क्षेत्र में अपना रुख भीषण करते बाढ़ अपना पाव जमाते हुवे खेतो में खड़ी हजारो हेक्टेयर फसल को अपने साथ बहा ले जाती है, वही कटान से खेतों की पहचान भी मिट जाती है।

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