महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ में एकदिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी "डॉ बी. आर. अंबेडकर एवं महात्मा ज्योतिबा फुले का अवदान" का आयोजन - प्रथम 24 न्यूज़

Header Ads

महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ में एकदिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी "डॉ बी. आर. अंबेडकर एवं महात्मा ज्योतिबा फुले का अवदान" का आयोजन


रिपोर्ट:- मण्डल वाराणसी व्यूरो: रियाज अहमद खान

आज दिनांक 14 अप्रैल, 2023 को समिति कक्ष, केंद्रीय ग्रन्थालय, महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ में एकदिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी "डॉ बी. आर. अंबेडकर एवं महात्मा ज्योतिबा फुले का अवदान" का आयोजन किया गया। संगोष्ठी का शुम्भारम्भ डॉ. बी. आर. अंबेडकर, महात्मा ज्योतिबा फुले, शिव प्रसाद गुप्त एवम महात्मा गांधी जी के प्रतिमा पर माल्यार्पण करके किया गया। 

कुलगीत की प्रस्तुति के पश्चात संगोष्ठी के संरक्षक प्रो. आनंद कुमार त्यागी जी, कुलपति महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ ने कार्यक्रम के मुख्य अतिथि अजीत कुमार, न्यायमूर्ति, इलाहाबाद उच्च न्यायालय, प्रयागराज को पुष्पगुच्छ देकर स्वागत किया। स्वागत के क्रम में संगोष्ठी की आयोजन सचिव प्रो. शैला परवीन ने प्रो. आनंद कुमार त्यागी जी, कुलपति, महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ को पुष्पगुच्छ देकर स्वागत किया।

संगोष्ठी के आयोजक प्रो. अनिल कुमार चौधरी ने श्री हरीश चन्द, कुलसचिव, महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ को पुष्पगुच्छ देकर स्वागत किया। प्रो. निमिषा गुप्ता ने श्री संतोष शर्मा, वित्त अधिकारी, महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ को  पुष्पगुच्छ देकर स्वागत किया, श्री अनिल कुमार ने प्रो. अमिता सिंह कुलानुशासक, महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ को पुष्पगुच्छ देकर स्वागत किया।

कार्यक्रम में उपस्थित विभिन्न विभागों के संकायाध्यक्ष, विभागाध्यक्ष, समस्त अध्यापकों, अतिथियों, छात्रों एवम प्रतिभागियों का वाचिक स्वागत प्रो. शैला परवीन ने किया। संगोष्ठी का विषय प्रवर्तन करते हुए प्रो. अनिल कुमार चौधरी ने बताया कि आज बाबा साहब अम्बेडकर जी न्याय के एवम महात्मा ज्योतिबा फुले जी शिक्षा के सबसे बड़े प्रतीक हैं। इनके द्वारा किए गए कार्यों एवम समाज सेवा के बारे में बताया और उन्हे एक कुशल मार्गदर्शक बताया।

देश में दो वर्ग एक जिनके पास है, दूसरे जिनके पास नही है के बीच बढ़ती खाई को भरने में हमारा संविधान बहुत ही प्रभावी सिद्ध हुआ है। संगोष्ठी के मुख्य वक्ता डॉ. प्रमोद कुमार बागडे, धर्म एवम दर्शन विभाग, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय ने बताया की भारत की संकल्पना प्रगतिशील धर्म निरपेक्षता कही ना कही खतरे में प्रतीत हो रही है। डॉ. बी. आर. अंबेडकर एवम महात्मा ज्योतिबा फुले  के व्यक्तित्व, कृतित्व पर गहन प्रकाश डाला।

आपने बताया की परिस्थितियां विचारों को गढ़ती हैं। उपयोगितावाद अधिकतम लोगों के अधिकतम सुख को प्राप्त करने के विचारों पर बल दिया।आपने ग्राम्योदय के विचारों को भी व्याख्यापित किया। ब्राह्मणवादी सामाजिक व्यवस्था, एवम गुलामगिरी की चर्चा की और इसका समाज से उन्मूलन होने की बात कही। विधवा विवाह एवम बाल विवाह के उन्मूलन पर किए गए अवदान के बारे में बताया।

संगोष्ठी के मुख्य अतिथि श्री अजीत कुमार, न्यायमूर्ति, इलाहाबाद उच्च न्यायालय, प्रयागराज ने महात्मा ज्योतिबा फुले को महान समाज सुधारक बताया एवम समाज में समदृष्टि, समभाव पर बल दिया। आपने बताया की दो तिहाई जनसंख्या ऐसी है जिनके पास अपर्याप्त संसाधन है। आपने सामाजिक जुड़ाव पर भी बल दिया।

महिला एवम पुरुष भेदभाव को खत्म करने एवम समाज में जाति, धर्म, लिंग, जन्म स्थान के आधार पर भेदभाव को खत्म करने पर बल दिया। उन्होंने बताया की हमे अंबेडकर की शिक्षा को अपने बच्चो को परिवार संस्कार में ही सीखना होगा तभी उनका योगदान अगली पीढ़ी तक पहुंचेगा। आपने आरक्षण व्यवस्था को पिछड़े वर्गो का कल्याण करने वाला बताया। संगोष्ठी में सभी अतिथियों को स्मृतिचिन्ह एवम अंगवस्त्रम प्रदान किया गया।

संगोष्ठी की अध्यक्षता कर रहे प्रो. आनंद कुमार त्यागी, कुलपति ने अपने अध्यक्षीय उद् बोधन में  कहा की ज्ञान का उद्देश्य मानवतावादी एवम जनकल्याणवादी होना चाहिए। आपने फुले एवम अंबेडकर के अवदान की चर्चा की। संगोष्ठी में दो तकनीकी सत्र का आयोजन किया गया। तकनीकी सत्र प्रथम की अध्यक्ष प्रो. निमिषा गुप्ता एवम सह अध्यक्ष डॉ अनिल कुमार ने किया।

तकनीकी सत्र द्वितीय के अध्यक्ष प्रो. पीताम्बर दास एवम सह अध्यक्ष प्रो. सुरेंद्र राम ने किया। देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों, वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय, जौनपुर, राजनीति विज्ञान विभाग, पीजी कॉलेज, गाजीपुर, एस आर एम यू, लखनऊ, एल एन सी टी, भोपाल इत्यादि राज्यों से विभिन्न शोध छात्रों द्वारा दोनों सत्रों में कुल पचास शोध पत्र पढ़े गए। 
संगोष्ठी का समापन राष्ट्रगान से हुआ। संगोष्ठी का संचालन श्रीमती भारती कुरील ने किया एवम धन्यवाद ज्ञापन प्रो. संजय ने किया। 

संगोष्ठी में विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों के संकायाध्यक्ष, विभागाध्यक्ष, अध्यापक, छात्र उपस्थित रहें  और समाज कार्य विभाग के समस्त शिक्षकगण, शोधार्थी एवं सभी पाठ्यक्रमों के विद्यार्थी भी  उपस्थित रहे।

कोई टिप्पणी नहीं

इस पोस्ट से सम्बंधित अपने विचारों से हमे अवगत जरूर कराए

टिप्पणी: केवल इस ब्लॉग का सदस्य टिप्पणी भेज सकता है.