बिछने लगी चुनावी बिसात: संभावित उम्मीदवारो ने सोशल साइट्स से जुड़े "भाड़े के समर्थको" को साधना किया शुरू---
प्रथम 24 न्यूज़ डेक्स
सोनौली (महराजगंज)
चुनावी तिथियों का एलान अभी बाकी है,ऐसे में निकाय चुनाव में खुद की प्रत्याशिता को पुख्ता मान चुके उम्मीदवारों ने खुद के चुनावी बिसात को सजाते हुए अपने-अपने मोहरों को धार देना शुरु कर दिया है।
प्राप्त समाचार के अनुसार नगर-निकाय सोनौली के सम्भावित अध्यक्ष प्रत्याशियों ने "दस वोटरों पर एक सपोर्टर भारी पड़ता है" जैसे फलसफे को आत्मसात करते हुए नगर के विभिन्न वार्डो से सोशल साइट्स पर एक्टिव युवाओं की फौज खड़ी करने की कवायद तेज कर दी है।
सूत्रों के मुताबिक इन युवाओं को सहेजने में संभावित उम्मीदवारों ने "साम-दाम-दंड-भेद" सरीखे सभी तरह के वाजिब हथकंडों को अपनाना शुरू कर दिया है। बर्थ-डे पार्टी, विवाहोत्सव, पूजापंडालो मे आयोजित होते रहने वाले भंडारों जैसे व्यक्तिगत व सामूहिक कार्यक्रमों में सोशल साइट्स के जरिए अपनी उपस्थिति मात्र से खुद को स्वयंभू समाजसेवी घोषित कर चुके तथाकथित इन नेताओं ने अब अपने चुनावी प्रचार के ट्रेंड को बड़े ही सुनियोजित व सुसज्जित तौर-तरीकों से बदलते हुए एक बार फिर मतदाताओं के ऑखो मे धूल डालकर सत्ता के शीर्षासन पर काबिज होने का रास्ता अख्तियार कर लिया है।
इस बावत युवा नेता व समाजसेवी अनुराग मणि त्रिपाठी का कहना है कि, लोक-लुभावन वायदों के दिन लद गये और जनता भी अब मौके पर "नौ-नगद न तेरह उधार" वाली तर्ज पर अपना उल्लू सीधा करती नजर आ रही है।
यही वह बड़ी वजह है, जिसने तथाकथित नेताओं को अपने चुनावी अभियान के ट्रेन्ड को बदलने हेतू विवश कर रखा है।
पत्रकारों से कतराने लगे प्रत्याशी
सोशल साइट्स बड़ी वजह, ऐसे में पुलिस-पब्लिक व सामाजिक व्यवस्था के बेहद करीब पाए जाने वाले कलमवीरो की व्यथा भला कौन सुने?
जानकार बताते हैं, चुनाव अगर आमजन के लिए उत्सव है तो वहीं दूसरी तरफ लोकतंत्र के चौथे स्तंभ के रूप में स्थापित पत्रकारिता के लिए किसी महोत्सव से कहीं कमतर नही है।
सोशल मीडिया के बढ़ते दखल से आए दिन यह वर्ग दो-चार होता रहा है, स्थानिय निकाय चुनाव में नेताओं के बदले इस ट्रेन्ड ने इस वर्ग के सामाजिक ताने-बाने को और ही बेजार कर दिया है।
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