महराजगंज बीएसए द्वारा जारी तुगलकी फरमान, विद्यालयों में व्याप्त भ्रष्टाचार, घोटालों पर पर्दा डालने का प्रयास...
प्रथम मीडिया नेटवर्क।
महराजगंज डेक्स।
उत्तर प्रदेश के महराजगंज जनपद से बडी खबर अब सरकारी विद्यालयों में पत्रकार के रूप में अवांछित व्यक्तियों के पहुंचने और अनावश्यक रूप से विद्यालयों को बदनाम करने की शिकायत का हवाला देकर बेसिक शिक्षा अधिकारी ने 3 सितंबर को प्रधानाचार्य व प्रधानाध्यपकों को जारी आदेश में जो लिखा गया है, उसे तुगलकी फरमान ही कहा जायेगा।
इस तुगलकी फरमान में कहा गया है कि कोई भी विद्यालय की खबर बनाने के लिए जाता है तो उसे रोककर पहले जिला सूचना अधिकारी द्वारा निर्गत पहचान पत्र मांगा जाए।
इसके बाद ही उसे रिपोर्टिंग करने दिया जाए। इसके बाद भी उसे विद्यालय परिसर में किसी भी प्रकार की तस्वीर न लेने दिया जाए और न ही वीडियो बनाने दिया जाय। इस आदेश के जारी होते ही पत्रकारों में आक्रोश व्याप्त हो गया है। पत्रकारों व सामाजिक कार्यकर्ताओं व राजनीतिक दलों के लोगों का स्पष्ट कहना है कि बीएसए आशीष कुमार सिंह विद्यालयों में व्याप्त भ्रष्टाचार को छुपाने के लिए आपातकाल जैसे आदेश जारी कर प्रेस पर प्रतिबंध लगा रहे है।
लोगों का कहना है कि बीते कुछ दिनों में जिस तरह से सरकारी विद्यालयों में मिड डे मील, कस्तूरबा गांधी विद्यालय में बच्चियों की पिटाई, राष्ट्रीय पर्व के दिन कई शिक्षकों का स्कूल ना आना और विद्यालय में अश्लील डांस की खबर प्रकाशित कर कमियों को उजागर करने से जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी के पसीने छूट गए हैं। खुद ही एक आदेश जारी कर सरकार के मंशा के विपरीत पत्रकारों को रोका जा रहा है, ताकि इनके करतूत मीडिया के जरिए बाहर ना आने पाए।
यह सब इस लिए क्योकि विद्यालय के काला चिट्ठा समय समय पर मीडिया ही जन जन तक पहुचाने का काम करता है। मीडिया पर अंकुश लगाने का मुख्य कारण यह है कि, बीएसए साहब अपने भ्रष्टाचार का पोल खुलने व मालकुमानी में कोई सेंधमारी ना होने पाए और कोई जानने ना पाए इसी कारण से यह तुगलकी फरमान जारी किया गया है।
सवाल ये भी है कि जिला सूचना अधिकारी जिले के कितने पत्रकारों को और किस आधार पर पहचान पत्र जारी करेंगे। अब देखना है कि इस आदेश के बाद तेज तर्रार और ईमानदार जिलाधिकारी इस पर क्या कहते हैं।
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