Up election 2022: छठे चक्र के मतदान में दस मंत्रियों की प्रतिष्ठा दांव पर
प्रथम 24 न्यूज़ डेक्स।
गोरखपुर उत्तर प्रदेश।
उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव के 6ठे चरण में जिन 57 सीटों पर वोट आगामी तीन मार्च को डाले जायेंगे उनमें दस मंत्रियों की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुयी है।
गोरखपुर मंडल के सात और बस्ती मंडल के दो मंत्रियों के साथ बलिया के एक मंत्री की प्रतिष्ठा कडी परीक्षा में फंसी हुयी है।
गोरखपुर जिले के .गोरखपुर शहर. विधान सभा सीट सबसे महत्वपूर्ण सीट पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पहली बार विधान सभा के चुनावी मैदान में हैं अैर लडायी में सबसे आगे हैं। पूरे प्रदेश की निगाह इसी सीट पर लगी हुयी है जहां स्थानीय लोग जीत और हार के अन्तर पर बात करने लगे हैं।
इसी जिले के कैम्पियरगंज विधान सभा सीट से कबीना मंत्री फतेह बहादुर सिंह इस बार की लडायी में फंसे हुए हैं उनके लिए पहले की अपेक्षा आसान नहीं रह गयी है। जिले के खजनी विधान सभा सीट पर श्री राम चौहान को भाजपा ने मैदान में उतारा है वह मूलतह संतकबीर नगर जिले रहने वाले हैं तथा बाहरी होने का दंश उन्हें झेलना पड रहा है जहां बसपा से उनकी कडी लडायी बतायी जा रही है।
गोरखपुर मंडल के देवरिया जिले के रूद्रपुर विधान सभा सीट पर मंत्री जय प्रकाश निषाद और इसी जिले के पथरदेवा सीट कृषि मंत्री सूर्यप्रताप शाही किस्मत अजमा रहे हैं।
यहीं से सपा से पूर्व मंत्री ब्रहमाशंकर त्रिपाठी भी मैदान में कडी टक्कर दे रहे हैं। मंडल के कुशीनगर जिले के फााजिल नगर सीट पर स्वामी प्रसाद मौर्य का कडा मुकाबला है तो बस्ती मंडल के सिध्दार्थनगर जिले के बांसी विधान सभा सीट से भाजपा से जय प्रताप सिंह अपनी राजनैतिक प्रतिष्ठा बचाने में लगे हुए हैं तो सिध्दार्थनगर जिले के इटवा सीट पर मंत्री सतीश द्विवेदी को सपा उम्मीदवार एंव पूर्व विधान सभा अध्यक्ष माता प्रसाद पान्डेय कडी चुनौती दे रहे हैं।
वर्ष 2017 के विधान सभा चुनाव में भाजपा 58 में से 46 सीटे जीती थी जबकि दो सीटों पर उसके सहयोगी दल अपना दल और ओमप्रकाश राजभर की पार्टी को सफलता प्राप्त हुयी थी। छठा चरण भाजपा की दृष्टि से महत्वपूर्ण है क्योंकि यहां उसके लिए उपजाउ भूमि है मगर इस बार स्वामी प्रसाद मौर्या की बगावत और राजभर के अलग होने के कारण पिछडे वर्ग का मतदाता बंटा हुआ सा लग रहा है जसके कारण विपक्षी दलों का हौसला बढा हुआ है।
भाजपा के पक्ष में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ने भी प्रचार प्रसार का मोर्चा संभाल लिया है अैर नाराज चल रहे ब्राहमणों को मनाने की प्रकृया तेज हो गयी है।
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