स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी बेलगाम, एक सहज जनसेवा केंद्रों से ऑनलाइन प्रिंट की मांग की खुली पोल, टिकाकरण में ग्रामीण परेशान, लौट रहे वापस - प्रथम 24 न्यूज़

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स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी बेलगाम, एक सहज जनसेवा केंद्रों से ऑनलाइन प्रिंट की मांग की खुली पोल, टिकाकरण में ग्रामीण परेशान, लौट रहे वापस



जितेन्द्र निषाद।

जिला ब्यूरो महराजगंज।


शुक्रवार को विकास खंड पनियरा के अंतर्गत ग्राम सभा कुआंचाप में कोरोना वैक्सीनेशन के दौरान स्वास्थ्य विभाग में एन एम‌ अशर्फी देवी नीलम मिश्रा ने कोरोना वैक्सीनेशन के दुसरे वैक्सीनेशन डोज में ग्रामीणों को पहले डोज के कोड नम्बर और अपना मोबाइल नंबर देने के बाद भी नहीं लगाई जा रही है।


 जनसेवा केन्द्र की भूमिका पर संदेह: आखिर ए एन एम क्यो भेज रही प्रिंट के लिए 


कुआंचाप में कोरोना वैक्सीनेशन स्वास्थ्य टीम ने ग्रामीणों को बताया कि नजदीक एक सहज जनसेवा केंद्रों से प्रिंट काफी लेकर आये नही तो टीकाकरण नही होगा। वैक्सीनेशन के लिए गांव के ग्रामीण दिन भर प्रिंट कॉपी भागभागी में लगे रहे हैं जो पैसा खर्च कर प्रिंट लाये उनका वैक्सीनेशन किया गया जो गरीब व निर्धन ग्रामीण असहायों ‌के पास पैसा नहीं था उन गरीबो का वैक्सीनेशन नहीं किया गया और वह वापस घर चलें गए।


इस विषय की जानकारी होने पर मीडिया टीम जब वैक्सिनेशन स्थल पहुची तो ए एन एम ने कहा कि कोई भी मोबाइल नम्बर या कोड नही बता पा रहा है जबकि मौके पर दर्जनों लोगों ने बताया कि कोड, नाम, मोबाइल नम्बर दिया गया है, मगर ऑनलाइन प्रिंट मांगा जा रहा है।


शासन के मंशा पर खुले आम पानी फेर रहे स्वास्थ्य कर्मी कही अपने आर्थिक फायदे को लेकर तो नही यह सवाल उपरोक्त प्रकरण से आभास हो रहा है, निशुल्क टीकाकरण के लाख प्रयास के बावजूद विभागीय अधिकारी व कर्मचारी मंशा के अनुरूप कार्य नहीं कर रहे है। यह एक जांच का विषय बन गया है।


बताया जा रहा है कि महिला एन एम अशर्फी देवी, मंजू देवी, नीलम मिश्रा, नंदकिशोर विश्वकर्मा   कर्मचारियों के इस रवैये से नाराज ग्रामीणों ने शुक्रवार को कुआं चाप स्थित प्राथमिक विद्यालय पर वैक्सीनेशन में अपने पहले डोज के वैक्सीनेशन के कोड नम्बर और मोबाइल नंबर देने व बताने के बाद भी नहीं लगाया जा रहा है, उन्हें एक जनसेवा केंद्र पर जा कर प्रिंट लाने को बोला जा रहा है, स्वास्थ्य कर्मियों के इस व्यवहार से ग्रामीणों तंग है, जिनके पास पैसा था वह मौके पर जा कर प्रिंट लाया और वैक्सीन लगवाया, मगर जिनके पास पैसा नही था वह बैरंग बिना वैक्सिनेशन के घर लौट गए।


अब सवाल यह उठता है कि जब सारी व्यवस्थाए वही थी तो ग्रामीणों को जनसेवा केंद्र क्यो दौड़ाया, नाम, कोड की जानकारी जब ग्रामीण दे रहे थे उन्हें वैक्सीन क्यो नही लगाया गया। कुल मिलाकर देखा जाए तो यह इस तरह का अभी पहला मामला है जो बेहद संगीन है। क्योंकि स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ में लगे है स्वास्थ्य कर्मी।

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