मेले के दूसरे दिन शहर की स्कूलों के विद्यार्थियों ने किया भ्रमण
चित्रकला वैश्विक भाषा है- संजय विस्वाल
मऊ :- मऊ जिला प्रशासन के सानिध्य में पर्यावरण एवं वन विभाग के सहयोग से शुरूआत समिति के माध्यम से द्वितीय मऊ पुस्तक मेले के दूसरे दिन ‘‘चैरी-चैरा’’ शताब्दी वर्ष के अवसर पर चित्रकला कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला मंें बच्चों से रूबरू होते हुए डी एफ ओ श्री संजय विश्वाल ने कहा कि ललित कला विश्व भाषा है उन्होंने कहा कि जो बात एक हजार शब्दों में नहीं कही जा सकती वह एक चित्र कर सकता है। उन्होंने कहा कि चित्रकला कार्यशाला में हिस्सा लेने वाले सभी विद्यार्थियों को समापन अवसर पर पुरस्कृृत किया जा जायेगा।
विशिष्ट अतिथि श्री कृष्ण कुमार खण्डेलवाल ने कहा कि विद्यार्थियों के मन का सपना कागज पर रंग बनकर उतरा है यह इन्द्रधनुषी रंग का आभाष दे रहा है।
अध्यक्षता करते हुए डी सी एस के पी जी कालेज के प्राचार्य डा. ए. के. मिश्रा ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि बच्चों को चित्रकला का थीम ‘‘चैरी-चैरा’’ देना अपनी आने वाली पीढ़ी को इतिहास से रूबरू कराना है। हमारी आने वाली पीढ़ी अपने महापुरूषों के जीवन से प्रेरणा ले सके।
हिन्दी विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डा. सर्वेश पाण्डे ने कहा कि साहित्य और कला का अन्तर्सम्बन्ध मऊ पुस्तक मेले के मंच के संगम का रूप प्रदान कर रहा है।
निर्णायक मंडल के सदस्यों में डा. कचन राय, डा. शिखा तिवारी और शुरूआत समिति की सचिव रीता राय ने निर्मित कलाओं का अवलोकन कर क्षेणीबद्ध किया। चित्रकला का आयोजन जिला विद्यालय निरीक्षक राजेन्द्र कुमार के संयोजकत्व में सोनीथापा इंटर कालेज की बीना गुप्ता के समन्वय में सम्पन्न हुआ।
बेसिक शिक्षा अधिकारी अशोक कुमार ने कहा कि शहर के सभी स्कूलों को शैक्षिक भ्रमण कार्यक्रम अनिवार्य किया गया है।
संस्कृतिकर्मी राजीव रंजन ने कहा कि शुक्रवार को सड़क सुरक्षा समय की पहल विषय पर विमर्श का आयोजन होगा। जिसमें जिले के शिक्षण संस्थाओं के विद्यार्थी और शिक्षक सक्रिय हिस्सेदारी निभायेगें। इस अवसर पर इतिहास विभाग से डा. रूचिका, डा. जियाउल्लाह, अंग्रेजी विभाग से डा. रशिका रियाज, समाजशास्त्र विभाग के सूर्यभूषण द्विवेदी, अखिलेश वर्मा, पत्रकारिता विभाग से सुरेश प्रताप सिंह दीक्षित, के साथ सैकड़ों की संख्या में विद्यार्थी/शिक्षक उपस्थित रहे।
पुस्तक मेले में रही इन किताबांे में रही काफी मांग
नेशनल बुक ट्स्ट से हमारी संसद, गांधी जी, पंडित दिनदयाल उपाध्याय,राजकमल से राग दरबारी, साये में धूप, गूंगी कलाई का कोरस, प्रकाशन संस्थान से मानवजाति का इतिहास, प्राचीन भारतीय सभ्यता का इतिहास चक्रवर्ती सन्यासी सरदार पटेल की काफी मांग रही।
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चैरी-चैरा स्वतंत्रता संग्राम का महत्वपूर्ण अध्याय-ए. के. मिश्रा
उ0 प्र0 शासन की अपील पर जिलाधिकारी अमित कुमार बंशल की प्रेरणा से डी. सी ए के डीग्री कालेज में वाद-विवाद एवं काब्य प्रस्तुति का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि प्राचार्य डा. ए.के.मिश्रा ने कहा कि चैरी-चैरा स्वतंत्रता संग्राम का महत्वपूर्ण अध्याय है। मुख्य वक्ता डा. शशिभूषण द्विवेदी ने कहा कि चैरी-चैरा पूर्वांचल की जन-ज्वार का प्रतीक था। कार्यक्रम के संयोजक डा. जियाउद््दीन एसोसिएट प्रोफेसर इतिहास विभाग ने कहा कि चैरी-चैरा के आक्रोश ने जन सामान्य मंे चेतना का प्रसार किया था।
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