जलप्रपातों में बढ़ेगी जलप्रवाह: बस्तर के झरनों को बारहमासी बनाने के लिए किया जाएगा कार्य
प्रभारी छत्तीसगढ़ विरेन्द्र नाथ
🔔 कलेक्टर ने की नरवा सहित फ्लेगशिप योजनाओं की समीक्षा
जगदलपुर प्राकृतिक सौन्दर्य से भरपूर बस्तर में कई झरने हैं। इन झरनों में कई ऐसे हैं, जिनमें शीत ऋतु के आते-आते जल का प्रवाह बंद हो जाता है। ऐसे झरनों में जलप्रवाह बढ़ाने के लिए नरवा कार्यक्रम के तहत कार्य करने के निर्देश दिए गए।
कलेक्टर रजत बंसल ने मंगलवार को नरवा, वन धन और गोधन योजना की समीक्षा की। इस अवसर पर वन मंडलाधिकारी स्टायलो मंडावी, जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी इंद्रजीत चंद्रवाल सहित पंचायत एवं ग्रामीण विकास और वन विभाग के अधिकारी उपस्थित थे।
कलेक्टर बंसल ने इस अवसर पर कहा कि ये मुख्यमंत्री की फ्लेगशिप योजनाएं हैं और इन योजनाओं के क्रियान्वयन में किसी भी प्रकार की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। उन्होंने कहा कि नरवा कार्यक्रम से भू-जल स्तर में वृद्धि के साथ ही मृदा अपरदन में भी कमी आती है। कार्बन सामग्री और नमी बढ़ने से कृषि उत्पादकता में होने वाली वृद्धि को देखते हुए उन्होंने नरवा कार्यक्रम को पूरी गति के साथ क्रियान्वित करने के निर्देश दिए। उन्होंने नरवा कार्यक्रम के तहत स्वीकृत कार्यों के प्रगति की एक-एक कर समीक्षा की। उन्होंने इस कार्यक्रम के तहत चयनित नालों के आसपास गोठानों के निर्माण और चारागाहों के विकास पर भी जोर दिया, जिससे पशुओं को आसानी से पानी सुलभ हो। उन्होंने नरवा कार्यक्रम के तहत जिले के 65 नालों के आसपास जल संरक्षण और संवर्द्धन हेतु किए जा रहे कार्यों के प्रभाव का अध्ययन करने के निर्देश भी दिए।
कलेक्टर ने गोधन न्याय योजना की समीक्षा के दौरान गोबर खरीदी के लिए सभी समितियों को सक्रिय करने के साथ ही गोबर विक्रेताओं को समय पर भुगतान सुनिश्चित करने के निर्देश दिए। मुख्य आजीविका के रुप में वनोपज पर निर्भर यहां के ग्रामीणों के आर्थिक उत्थान के लिए वन धन योजना के तहत वन-धन केन्द्रों के निर्माण में तेजी लाने के साथ ही प्रसंस्करण के लिए आवश्यक उपकरण स्थापित करने के निर्देश भी दिए। उन्होंने कहा कि वनोपज संग्राहकों को उत्पादों का उचित मूल्य उपलब्ध कराने के लिए 52 प्रकार के लघु वनोपज का न्यूनतम समर्थन मूल्य निर्धारित किया गया है। शासन की मंशा को साकार करने के लिए ग्रामीणों को वनोपज का उचित मूल्य की प्राप्ति सुनिश्चित करने के निर्देश दिए। उन्होंने वनोपज क्रय के कार्य में लगी समूहों को प्रोत्साहित करने के निर्देश भी दिए। वनोपज खरीदने वाले व्यापारियों के कांटा बांट की जांच के निर्देश भी दिए गए, जिससे कोई ग्रामीण धोखाधड़ी का शिकार न हो। ग्रामीणों से धोखाधड़ी करने वालों पर कानूनी कार्यवाही के निर्देश दिए गए। आगामी वर्षा ऋतु में किए जाने वाले वृक्षारोपण के लिए अभी से तैयारी प्रारंभ करने के निर्देश देते हुए कहा कि वृक्षारोपण के लिए स्थान का चयन करने के साथ ही गड्ढा खुदाई का कार्य भी शीघ्र प्रारंभ करें।
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