महराजगंज़ जनपद में देवदह के प्राचीन टीले पर बौद्ध सम्मेलन बुधवार को
अड्डा बाजार से त्रिपुरारी यादव की रिपोर्ट/
लक्ष्मीपुर के बनर्सिहा कला में स्थित प्राचीन बौद्ध स्थल देवदह के टीले पर बुधवार को बौद्ध सम्मेलन का आयोजन 10 बजे से किया जायेगा। जिसके लिये स्थानीय स्तर पर तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। सम्मेलन में प्रदेश के तमाम बौद्ध भिक्षुओं का आगमन हो रहा है।
देवदह बौद्ध विकास समिति नौतनवां द्वारा बौद्ध सम्मेलन पिछले कई वर्षों से लगातार आयोजित किया जा रहा है। समिति के अध्यक्ष जितेन्द्र राव ने बताया कि कोविड 19 महामारी को देखते हुये पुरातत्व विभाग ने बौद्ध सम्मेलन करने की अनुमति मात्र 14 अक्टूबर को एक दिन के लिये दिया है । कार्यक्रम बनर्सिहा कला के प्राचीन टीले पर होगा। कार्यक्रम स्थल पर सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। कार्यक्रम को सफल बनाने के लिये समिति के पदाधिकारियों को जिम्मेदारियां सौप दी गयी हैं।
बताते चलें कि देवदह में कब क्या हुआ
नौतनवां तहसील के बनर्सिहा कला और बनर्सिहा खुर्द भैसाहिया में 88 एकड़ भूमि पुरातत्व विभाग ने वर्ष 1978 में बौद्ध स्थल के रूप में संरक्षित किया। जिसकी खुदाई 1992 में हुई। जिसमें मौर्य, गुप्त व कुषाण कालीन अवशेष प्राप्त हुये। जिसके बाद इतिहासकारों ने यह स्पष्ट कर दिया कि 88 एकड़ भूमि भगवान बुद्ध से सम्बंधित ही है। इसके बाद इस भूमि पर बौद्ध धर्मावलंबियों का आना जाना प्रारम्भ हो गया। वर्ष 2006 से देवदह बौद्ध विकास समिति के अध्यक्ष जितेंद राव के नेतृत्व में प्रति वर्ष अक्टूबर माह में 7 दिवसीय देवदह महोत्सव होने लगा। जिसके बाद प्रशासन देवदह का विकास कराने का निर्णय लिया। इसी क्रम में पुरातत्व, राजस्व व चकबन्दी विभाग की संयुक्त टीम ने 88 एकड़ भूमि का सीमांकन 1 व 2 नवम्बर 2017 को किया। जिसमें कुछ किसानों की भूमि भी आ गयी। जिसके बाद किसानों ने अपने मुआवजे की बात कर रहे हैं। कई बार विरोध प्रदर्शन भी हो चुका है। इसके बाद नवम्बर 2018 में देवदह बौद्ध विकास समिति नौतनवां ने देवदह के विकास के लिये मुड़ली चौराहे पर धरना शुरू किया। धरने के चौथे दिन सांसद पंकज चौधरी मौके पर पहुँच कर लोगों को आश्वासन दिया कि देवदह का विकास होगा। इसी क्रम में सांसद पंकज चौधरी ने प्राचीन बौद्ध स्थल के विकास का मामला संसद में उठाया। तब जाकर शासन प्रशासन हरकत में आया और वर्तमान डीएम अमरनाथ उपाध्याय अगस्त माह 2019 में पहली बार देवदह के टीलों की सच्चाई जानने पहुँचे। इसी क्रम में डीएम ने 24 अगस्त 2019 को अन्तराष्ट्रीय बौद्ध सेमिनार कराने का निर्णय लिया। ताकि देवदह को असली पहचान मिल सके। इसी के बाद ही तत्कालीन डीएम अमरनाथ उपाध्याय का तबादला हो गया। तभी से इसके विकास की योजनाओं पर ग्रहण लगा हुआ है।
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