जो हम अभिभावकों की पीड़ा न समझ सके, नही चाहिये हमे ये सरकार हमे चाहिये इंसाफ "नो क्लास नो फीस"― अभिभावक संघ - प्रथम 24 न्यूज़

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जो हम अभिभावकों की पीड़ा न समझ सके, नही चाहिये हमे ये सरकार हमे चाहिये इंसाफ "नो क्लास नो फीस"― अभिभावक संघ



प्रथम 24 न्यूज़ डेक्स।
नौतनवा-महराजगंज।

प्राइवेट स्कूलों की मनमानी व दबंगई को लेकर नौतनवा विधानसभा क्षेत्रों के अभिभावकों ने पिछले दिनों समाज के सर्वसम्मति से अभिभावक संघ का गठन किया गया था, इस संघ का एक ही लक्ष्य है कि अभिभावकों के उत्पीड़न को रोका जाए व स्कूलों में व्याप्त भ्रष्टाचार को शासन-प्रशासन को अवगत कराया जाय, बच्चों को बेहतर शिक्षा दिलाया जा सके।

नौतनवा नगर में नव गठित अभिभावकों की संगठन "अभिभावक संघ" ने नौतनवा सहित पूरे देश में एक मिसाल कायम किया है, "नो स्कूल नो फीस" की इस मुहिम में आज नौतनवा विधानसभा के ही नही बल्कि जनपद के अन्य विधानसभा के अभिभावकों में भी जागरूकता आ रही। वही इस मुहिम में रोजाना सैकड़ो अभिभावक जुड़ रहे है।

"नो स्कूल नो फीस" के नारे ने आज शिक्षा माफियाओं की कुर्सी हिला कर रख दिया है। यह शिक्षा माफिया ज्ञान के मंदिर को व्यापार का माध्यम बना लिया है, यह शिक्षा माफिया शिक्षणकार्य के आड़ में अभिभावकों से धनादोहन कर रहे। जब स्कूल खुला ही नही, बच्चे स्कूल गए ही नही तो फिर किस बात की यह शिक्षा माफिया पैसा मांग रहे, इन स्कूलों को शिक्षा माफिया इस लिए कहा जा रहा है क्योंकि इनका रवैया ही माफिया गिरोह जैसा है।

जानकारी देते चले कि अभिभावक संघ गठन पूर्व नौतनवा स्थित एक दबंग स्कूल की प्राचार्या शिक्षिका ने अभिभावकों के एक दल से मिलने व उनके पीड़ा को सुनने से इनकार कर इतना ही नही इस माफिया प्राचार्या ने यह तक कह दिया कि अगर फीस जमा नही हुआ तो किसी स्कूल में अपने बच्चों का एडमिशन नही करा पाओगे, बात यहीं खत्म नही हो जाती, आगे इसी शिक्षा माफिया प्राचार्या ने अभिभावकों के शिकायती पत्र को भी फेक दिया। इसके बाद अभिभावकों ने मिल कर नौतनवा में अभिभावक संघ की नींव रखी जिसमे आज नौतनवा, सोनौली सहित कई शहरों व गावो के अभिभावक भारी संख्या में जुड़ रहे है।

            ―अभिभावक संघ की पीड़ा ―          


: जो हम अभिभावकों की पीड़ा न समझ सके "नो क्लास नो फीस" हम यह राजनीति नही कर रहे है बस अपनी पीड़ा कह रहे है, बस अब सहन नही होता गला दबाकर पैसा मांग रहे है ये, जिस शिक्षा को हमारे बच्चे ने लिया ही नही उसका ये पैसा मांग रहे है।

: हम अपने बच्चों को भेज रहे थे संस्कार के लिये, और स्कूलों ने उन्हें अपना मोहरा बनाया शिक्षा के नाम पर व्यापार के लिये।

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