मिट रहा कुओं का अस्तित्व जिम्मेदार बेखबर ★ सार्वजनिक स्थल के कुओं को भी पाटने से नहीं हो रहा गुरेज
लक्ष्मीपुर/पुरन्दरपुर/महराजगंज।
कुँए धार्मिक कार्य के लिए अहम है, हालांकि अब इससे जलापूर्ति नहीं होती। बावजूद इसकी महत्ता को भुलाया नहीं जा सकता।लक्ष्मीपुर क्षेत्र के सार्वजनिक स्थल पर बने कुओं को भी अवैध कब्जाधारी पाटने से गुरेज नहीं कर रहे हैं। बावजूद इसके जिम्मेदार चुप्पी साधे हुवे हैं।लक्ष्मीपुर क्षेत्र के पैसिया, एकमा, लक्ष्मीपुर, हथियागढ परसौनी सहित सैकड़ों गाँवों में वर्षों पूर्व बने कुँए अपने अस्तित्व के संकट से जूझ रहे हैं। इनके रखरखाव व सुंदरीकरण के बजाय इस पर अवैध रूप से कब्जा किया जा रहा है। शिकायतों पर भी संज्ञान न लेने के कारण कब्जाधारियों का मनोबल बढ़ता जा रहा है। तमाम ऐसे कुँए हैं जिनके इर्दगिर्द दुकानों के खुलने से इनकी अहमियत मिट रही है। नतीजन धार्मिक आयोजन के लिए लोगों को इधर उधर भटकना पड़ रहा है। लक्ष्मीपुर ब्लाक का कुआं जो ब्लाक परिसर में होने के बावजूद पूरी तरह पट गया लेकिन उसके रखरखाव पर किसी ने ध्यान नहीं दिया। ब्लाक से सटे चौतरवां डीह का कुआं जिस पर कब्जा करने की पूरी कोशिश, प्राथमिक विद्यालय का कुआं जो अपने अस्त्तित्व को जूझ रहा है।तो वहीं लक्ष्मीपुर बाजार के कुओं की उपेक्षा किसी से छिपी नहीं है। स्थानीय लोग कहते हैं शादी विवाह में कुआं का धार्मिक महत्त्व है, लेकिन इसे उपेक्षित कर दिया जा रहा है। अगली पीढ़ी सिर्फ कहानियों में कुओं के बारे में सुन जान पाएंगे। हमकों कुओं को बचाने के लिए आगे आना पड़ेगा।
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