कोरोना वायरस की मार से फीका पड़ा भाई-बहन का पर्व रक्षाबंधन का त्यौहर
पुरन्दरपुर से वसीम खान की रिपोर्ट
=================================ऑनलाइन ही बहनें भेज रही हैं भाइयों को राखी, बाजार में 50 फीसदी पड़ी है दुकानदारों को मार,
महराजगंज जनपद में वैश्विक कोरोना महामारी अपना पैर पसार रहा है। इस बीच भाई-बहन प्रेम के प्रतीक रक्षाबंधन त्यौहार पर इस बार कोरोना महामारी का असर साफ दिखाई दे रहा है। त्यौहार में सिर्फ 5 दिन शेष हैं। लेकिन बाजार में रौनक नहीं दिख रही है। पहले महीने भर पहले से रंग बिरंगी राखियों से बाजार सजा संवरा दिखता था। इस बार अभी तक ऐसी कोई तैयारी नहीं दिख रही है। कोरोना महामारी ने त्योहारों पर असर डालना शुरू कर दिया है। इस बार का रक्षाबंधन अन्य वर्षों की अपेक्षा फीका नजर आ रहा है। बाजार में न तो राखियों की दुकानें सजी हैं और न ही खरीदारों की चहल-पहल ही दिख रही है। कोरोना काल के पहले तरह-तरह की राखियां आकर्षण का केंद्र हुआ करती थीं लेकिन इस बार उनकी भी आवक नहीं हुई। दुकानदार राजन भाटिया, दुर्गेश जयसवाल, हनुमान जयसवाल, गब्बू अग्रहरि, अमित अग्रहरि, आदि कहते हैं कि इस बार राखियों की डिमांड कम होने के चलते स्टाक में जो थोड़ी बहुत नई व पुरानी राखियां हैं उन्हें ही किसी तरह बेच कर जमा पूंजी निकालनी है। बड़े व्यापारियों का कहना है कि इस बार चीन से राखियों की खेप नहीं मंगाई गई जिसके चलते राखियों का मूल्य पिछले वर्ष से अधिक है। पहले बहनें एक साथ कई तरह की राखियां खरीदकर भाई की कलाई पर सजाती थीं लेकिन इस बार तो इक्का दुक्का ही राखियां बिक रही हैं।
चांदी की राखियों का भी क्रेज फीका पड़ा
धागों से बनी राखियों के खरीदार अभी नहीं मिल रहे हैं। लेकिन चांदी से बनी राखियों की बिक्री शुरू हो गई है। आभूषण व्यपारी प्रेम वर्मा, पंकज वर्मा, शनि वर्मा, आदि दुकानदारों ने बताया कि अब तक दो तीन राखियां वह बेच चुके हैं। लॉक डाउन के वजह से लोगों में आर्थिक स्थिति कमजोर दिखाई दे रही हैं। जिसके चलते बाजार फीका पड़ा हुआ है।
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