Vijay Diwas 2023: नौतनवा में पूर्व सैनिकों ने दीपक बाबा के नेतृत्व में जुलूस निकाल कर मनाया विजय दिवस - प्रथम 24 न्यूज़

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Vijay Diwas 2023: नौतनवा में पूर्व सैनिकों ने दीपक बाबा के नेतृत्व में जुलूस निकाल कर मनाया विजय दिवस


सोनौली/नौतनवा महराजगंज।

आज ही के दिन सन 1971 दिसंबर 16 को भारतीय सेना की बहादुरी के सामने पाकिस्तानी की सेना ने घुटने टेकते हुवे आत्मसमर्पण कर अपनी जान बचाई थी और बांग्लादेश पाकिस्तान से आज़ाद होकर भारत के सहयोग से विश्व के नक्शे में एक स्वतंत्र देश बना।

भारत में हर साल 16 दिसंबर को विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है। 1971 में आज ही के दिन भारतीय सेना ने पाकिस्तान के खिलाफ ऐतिहासिक जीत दर्ज की थी। 16 दिसंबर 1971 की ऐतिहासिक जीत की खुशी आज भी हर देशवासी के दिल में जोश और उत्साह भर देती है। इसी क्रम में आज सुबह करीब 9 बजे से भूतपूर्व सैनिकों का जत्था नौतनवा रेलवे स्टेशन पहुचने लगा और रेलवे प्रांगण में स्थापित शहीद स्मारक पर पुष्पगुच्छ माला चढ़ा कर शहीदों को नमन करते हुवे रेलवे स्टेशन से गांधी चौक तक विजय जुलूस निकाला गया।

गांधी चौक पर कर पूर्व सैनिकों ने एक आम सभा किया इस मौके पर 1971 के युद्ध के प्रत्यक्षदर्शिय रहे पूर्व सैनिकों ने बताया कि, आज ही के दिन भारतीय सेना की बहादुरी के सामने पाकिस्तानी सेना ने आत्मसमर्पण कर दिया था और बांग्लादेश को आजादी मिली थी। यह युद्ध 13 दिनों तक चला। आज पूरा देश ऐतिहासिक जीत के नायक रहे भारतीय सेना के वीर जवानों की वीरता और बलिदान को सलाम कर रहा है।

सभा को सम्बोधित करते दीपक बाबा

नगर पंचायत सोनौली के पूर्व चेयरमैन प्रत्याशी रहे पूर्व सैनिक व वरिष्ठ समाजसेवी दीपक बाबा ने इस मौके पर प्रकाश डालते हुवे बताया कि, 16 दिसंबर 1971 को मनाया गया विजय दिवस भारत के सैन्य इतिहास में एक महत्वपूर्ण अध्याय है। यह दिन भारत-पाक युद्ध के दौरान पाकिस्तान पर भारतीय सशस्त्र बलों की जीत का जश्न मनाता है। बांग्लादेश का जन्म 1971 में भारत-पाकिस्तान युद्ध से हुआ था। यह दिन सैनिकों के बलिदान का सम्मान करने और उस जीत का जश्न मनाने के लिए मनाया जाता है जिसने दक्षिण एशिया के मानचित्र को नया आकार दिया।

विजय दिवस 2023 नौतनवा के मौके पर डंबर बहादुर गुरुंग, तुल बहादुर थापा, सूरज कुमार थापा, नर बहादुर थापा, मोहन थापा, राज कुमार थापा, रमेश त्रिपाठी, श्याम किशोर, नरेश राना, अमित त्रिपाठी उर्फ मंटू आदि उपस्थित रहे।

शहीदों को सलामी देते पूर्व सैनिक दीपक बाबा

जानकारी देते चले कि, बंटवारे के वक्त धर्म की आड़ लेते हुवे भारत के दो हिस्से पश्चिमी पाकिस्तान और पूर्वी पाकिस्तान के नाम पर अलग हो गए थे। बंगाल का एक बड़ा भाग पूर्वी पाकिस्तान के नाम से जाना जाता था। पश्चिमी पाकिस्तान की सरकार पूर्वी पाकिस्तान के लोगों पर अत्याचार करती रही। पूर्वी पाकिस्तान से लेकर पश्चिमी पाकिस्तान तक 24 साल तक जुल्म सहा। पूर्वी पाकिस्तान के स्वतंत्रता संग्राम में भारत ने उनका साथ दिया। युद्ध में भारत की जीत के साथ पूर्वी पाकिस्तान स्वतंत्र हो गया और बांग्लादेश बन गया।

1970 में पाकिस्तान में आम चुनाव हुए। इस चुनाव में पूर्वी पाकिस्तान अवामी लीग के नेता शेख मुजीबुर रहमान मशहूर हो गए। जिन्होंने सरकार बनाने का दावा पेश किया था. लेकिन यहां पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के नेता ज़ुल्फ़िकार अली भुट्टो चिढ़ गए जिन्होंने पूर्वी और पश्चिमी पाकिस्तान के लोगों को एक-दूसरे के क्षेत्र में हस्तक्षेप करने से मना कर दिया। इस बीच तनाव इतना बढ़ गया कि अत्याचार बढ़ने लगे।

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