सोनौली: खाद्य अनुसंधान प्रयोगशाला में कर्मचारियों की नही है तैनाती
करोड़ो रुपए की लागत से बनी भवन बेमतलब साबित हो रही है
सोनौली।महराजगंज
भारत नेपाल सीमा सोनौली बॉर्डर पर सोनौली सीमा के रास्ते भारत आने वाले प्राकृतिक एवं मेन्युफेक्चरिंग उत्पादों की गुणवत्ता को जांचने वाला खाद्य अनुसंधान व मानकीकरण प्रयोगशाला में न तो जांच विशेषज्ञ तैनात है और न ही कोई वैज्ञानिक है। जिससे करोड़ों रुपये की लागत से बना भवन बेमतलब साबित हो रही हैं।जिससे नेपाल के उधोगपतियों को एक्सपोर्ट के लिए गाजियाबाद जाने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है।
सोनौली सीमा के रास्ते भारत आने वाले प्राकृतिक एवं मेन्युफेक्चरिंग उत्पादों की गुणवत्ता को जांचने वाला खाद्य अनुसंधान व मानकीकरण प्रयोगशाला में न तो जांच विशेषज्ञ तैनात है और न ही कोई वैज्ञानिक है। जिससे करोड़ों रुपये की लागत से बना भवन व उसमें रखी मशीनें बेमतलब साबित हो रही हैं। सोनौली के धौरहरा मुख्य मार्ग पर बने जांच केंद्र की निगरानी स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा की जाती है। यह केंद्र इस आशय से बनाया गया था कि नेपाल से आयातित प्राकृतिक एवं मैनुफैक्चरिंग खाद्य उत्पादों की मौके पर ही गुणवत्ता जांच हो जाए, लेकिन इस केंद्र पर पिछले दो साल से कोई भी कर्मचारी की तैनाती नही है। पहले इस केंद्र पर नेपाल से आयतित नूडल्स, कत्था, सोंठ, खाद्य तेल, सेब का जूस, घी, दालचीनी, काली मिर्च, इलायची, तेज पत्ता व अदरक आदि के सैंपलों की जांच होती है, लेकिन विशेषज्ञ व वैज्ञानिकों के न होने से नमूनों को गाजियाबाद भेजना पड़ता है। जिसके कारण एक सैंपल की जांच में अमूमन दस दिन का समय लगता है और धन भी अधिक खर्च होता है।
नेपाल रूपनदेही जिले के उधोगपति अमित गोयनका, अरुण कुमार, प्रशांत मित्तल ने रविवार को कस्टम अधिकारियों से मिलकर अपनी समस्या से उन्हें अवगत कराया और बताया कि सोनौली में प्रयोगशाला नही होने से काफी समस्या होती है। लैब गाजियाबाद होने से आने जाने में समय और काफी धन खर्च होता है।फिर भी रिपोर्ट समय पर नही मिल पाती है।
इस सम्बंध में कस्टम अधिझक सोनौली एसके पटेल ने बताया कि दो साल पहले सोनौली की प्रयोगशाला चालू थी। खाद्य अनुसंधान विभाग एवं कस्टम उच्चाधिकारियों को नेपाल के उधोगपतियों की समस्या से अवगत कराया गया है। जल्द ही इस समस्या का समाधान हो जाएगा
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