Omicron : आखिर WHO ने क्यो रखा कोरोना वायरस के नए वेरिएंट का नाम 'ओमिक्रॉन', आइये जानते है विस्तार से - प्रथम 24 न्यूज़

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Omicron : आखिर WHO ने क्यो रखा कोरोना वायरस के नए वेरिएंट का नाम 'ओमिक्रॉन', आइये जानते है विस्तार से



प्रथम 24 न्यूज़ डेक्स।
नई दिल्ली/मुम्बई

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने कोरोना वायरस के एक नए वेरिएंट को लेकर चिंता ज़ाहिर करते हुवे कहा कि, इसे तकनीकी शब्दावली में 'चिंता वाला वेरिएंट' (वेरिएंट ऑफ़ कंसर्न/वीओसी) बताते हुए इसे 'ओमिक्रॉन' नाम दिया है।

डब्ल्यूएचओ ने चेतावनी देते हुए कहा कि यह काफी तेज़ी से और बड़ी संख्या में म्यूटेट होने वाला वेरिएंट है। उसने बताया है कि इस वेरिएंट के कई म्यूटेशन चिंता पैदा करने वाले हैं। इसलिए शुरुआती साक्ष्यों के आधार पर WHO ने कहा है कि इस म्यूटेशन के चलते संक्रमण का ख़तरा बढ़ गया है।

दुनिया ने दक्षिणी अफ़्रीकी देशों से आवाजाही पर लगाई रोक

WHO को इस वेरिएंट के पहले मामले की जानकारी 24 नवंबर को दक्षिण अफ्रीका से मिली थी। इसके अलावा बोत्सवाना, बेल्जियम, हांगकांग और इसराइल में भी इस वेरिएंट की पहचान हुई है।

इस वेरिएंट के सामने आने के बाद दुनिया के कई देशों ने दक्षिणी अफ्रीका से आने-जाने पर प्रतिबंध लगाने का फ़ैसला किया है।

दक्षिण अफ्रीका, नामीबिया, जिम्बॉब्वे, बोत्सवाना, लेसोथो और इस्वातिनी से आने वाले लोग ब्रिटेन में प्रवेश नहीं कर पाएंगे बशर्ते वे ब्रिटेन या आयरलैंड के नागरिक या ब्रिटेन के निवासी न हों।

अमेरिकी अधिकारियों ने भी दक्षिण अफ्रीका, बोत्सवाना, जिम्बॉब्वे, नामीबिया, लेसोथो, इस्वातिनी, मोज़ाम्बिक और मलावी से आने वाली उड़ानों को रोकने का फ़ैसला किया है। यह प्रतिबंध सोमवार से लागू हो जाएगा। यूरोपीय संघ के देशों और स्विट्ज़रलैंड ने भी कई दक्षिणी अफ़्रीकी देशों से आने-जाने वाले विमानों पर अस्थायी रोक लगा दी ह।

वायरस का समय के साथ बदलते जाना या म्यूटेट होना कोई असामान्य बात नहीं है.

वायरस का कोई वेरिएंट तब चिंता वाला वेरिएंट (वेरिएंट ऑफ़ कंसर्न/वीओसी) बन जाता है, जब वह तेज़ी से फैलने या नुक़सान पहुंचाने की क्षमता के साथ वैक्सीन की प्रभावशीलता जैसी बातों को प्रभावित कर सकता है।

शुक्रवार को WHO ने कहा कि इस वेरिएंट के मामलों की संख्या दक्षिणी अफ्रीका के सभी प्रांतों में बढ़ रही है। शुरुआत में इस वेरिएंट को बी.1.1.529 नाम दिया गया था।

WHO ने अपने एक बयान में कहा, "यह वेरिएंट काफी तेज़ी से म्यूटेट हो रहा है और इनमें से कुछ म्यूटेशन चिंता के विषय हैं." उसके अनुसार, इस म्यूटेशन का पहला ज्ञात संक्रमण 9 नवंबर को जमा किए गए नमूने से मिला था। हालांकि उसने कहा है कि नए वेरिएंट का प्रभाव समझने में अभी कुछ सप्ताह लगेंगे।

वहीं ब्रिटेन के एक शीर्ष स्वास्थ्य अधिकारी ने चेतावनी देते हुए कहा है कि इस नए वेरिएंट के ख़िलाफ़ वैक्सीन के प्रभावी होने की संभावना क़रीब-क़रीब कम है।

हालांकि ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के स्ट्रक्चरल बायोलॉजिस्ट प्रोफ़ेसर जेम्स नाइस्मिथ ने कहा है कि यह बुरी ख़बर तो है लेकिन यह क़यामत का दिन आने जैसी बात नहीं है।

हालांकि उन्होंने यह भी चेतावनी दी है कि यदि यह वेरिएंट अधिक तेज़ी से फैलता है तो यह ब्रिटेन तक पहुंच जाएगा। उन्होंने यह भी बताया कि इसके फैलने की क्षमता समझना ''उतना आसान नहीं है जितना कि एमिनो एसिड के प्रभाव को,'' उन्होंने कहा कि यह कितना फैलेगा, वो इस बात पर निर्भर करेगा कि म्यूटेशन कैसे एक साथ काम करते हैं।

साइंटिफिक पैन्डेमिक इन्फ्लुएंजा मॉडलिंग ग्रुप (एसपीआई-एम) के एक सदस्य डॉo माइक टिल्डस्ले ने शुक्रवार को मीडिया को बताया कि दक्षिण अफ्रीका के केवल 24 फ़ीसदी लोगों का पूर्ण टीकाकरण हुआ है, ऐसे में वहां कोरोना के मामले तेज़ी से फैल सकते हैं।


यात्रा प्रतिबंध लगाने पर WHO की चेतावनी

WHO ने जल्दबाज़ी में यात्रा प्रतिबंध लगाने वाले देशों को चेतावनी देते हुए कहा है कि इन देशों को "ख़तरों को देखकर वैज्ञानिक नज़रिया" अपनाना चाहिए।

हालांकि ब्रिटेन, अमेरिका और यूरोपीय संघ के देशों के अलावा दूसरे देशों ने भी यात्रा प्रतिबंध लगाने की घोषणा की है। भारत ने भी दक्षिण अफ्रीका, बोत्सवाना और हांगकांग से आने वाले यात्रियों की और सख़्त जांच करने का आदेश दिया है।

वहीं जापान ने घोषणा की है कि शनिवार से दक्षिणी अफ्रीका से आने वाले अधिकांश यात्रियों को 10 दिनों के लिए क्वारंटाइन किया जाएगा। उस दौरान लोगों की चार बार जांच की जाएगी।

ईरान ने भी दक्षिण अफ्रीका के साथ छह दक्षिणी अफ्रीकी देशों से आवाजाही पर प्रतिबंध लगाने का एलान किया है। ब्राज़ील ने भी कहा है कि वो अफ्रीका के छह देशों से आने-जाने पर प्रतिबंध लगा रहा है।

उधर, दक्षिण अफ्रीका के स्वास्थ्य मंत्री जो फाहला ने कहा है कि उनके देश से आने-जाने वाले विमानों पर लगाए गए ये प्रतिबंध "अनुचित" हैं। उन्होंने कहा कि आवाजाही पर लगाए गए ये प्रतिबंध WHO द्वारा तय मानदंडों और मानकों के पूरी तरह ख़िलाफ़ हैं।

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