ऋण अदायगी की विफलता के मामले में यूपी का माइक्रोफाइनेंस उद्योग देश के पांच अग्रणी राज्यों में एक
सिडबी-इक्विफैक्स रिपोर्ट के मुताबिक कोरोना काल में भी माइक्रोफाइनेंस उद्योग पर ज्यादा असर नहीं
प्रथम 24 न्यूज़ डेक्स।
लखनऊ-उत्तर प्रदेश।
कोरोना महामारी के दौर में भी देश के माइक्रोफाइनेंस उद्योग पर बहुत ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ा है। सालाना आधार पर माइक्रोफाइनेंस उद्योग की वृद्धि दर कोरोना की दूसरी लहर के दौरान इस वित्त वर्ष की पहली तिमाही में सपाट रही है।
भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक (सिडबी) और इक्विफैक्स इंडिया के त्रैमासिक प्रकाशन माइक्रोफाइनेंस पल्स के दसवें संस्करण से पता चला है कि इस उद्योग का बकाया पोर्टफोलियो यथा जून 2021 तक साल-दर-साल आधार पर सपाट रहा है।
रिपोर्ट के मुताबिक माइक्रोफाइनेंस उद्योग का बकाया पोर्टफोलियो जून 2021 तक रु. 2,22,060 करोड़ था। माइक्रोफाइनेंस उद्योग ने अप्रैल-जून 2021 तिमाही के दौरान 25,808 करोड़ रुपये के ऋण का संवितरण किया और मूल्य के हिसाब से 300 फीसदी और मात्रा के हिसाब से 209 फीसदी की सशक्त वर्ष-दर-वर्ष संवृद्धि दर्ज की है। तथापि, जून 2021 में 1 से 179 दिनों की चुकौतीगत विफलता; मार्च 2021 के 13.59 फीसदी से बढ़कर 31.44 फीसदी हो गई। जून 2021 तक पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, बिहार, कर्नाटक और उत्तर प्रदेश 5 शीर्ष राज्य थे। वहीं 31,024 करोड़ रुपए के बकाया पोर्टफोलियो के साथ पश्चिम बंगाल सबसे अग्रणी राज्य है। पश्चिम बंगाल की 90+ दिन की चुकौतीगत विफलता 5.15 फीसदी थी, जो 5 शीर्ष राज्यों में सबसे अधिक है और यह उद्योग स्तर पर चुकौतीगत विफलता के 3.01 फीसदी से भी अधिक है।
ऋणों की संख्या और बकाया पोर्टफोलियो की दृष्टि से किए गए उधारकर्ता वितरण विश्लेषण से पता चलता है कि 42 फीसदी ग्राहकों के पास तीन या अधिक ऋण हैं और केवल 15 फीसदी उधारकर्ताओं के पास 50,000 रुपए से अधिक का बकाया पोर्टफोलियो है।
विमोचन के अवसर पर सिडबी के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक श्री सिवासुब्रमणियन रमण ने कहा कि अप्रैल-जून 2021 तिमाही के दौरान महामारी की दूसरी लहर के कारण ऋण संवितरण प्रभावित हुआ है। तथापि, यह प्रभाव महामारी की पहली लहर की तुलना में कम गंभीर रहा है, जो माइक्रोफाइनेंस क्षेत्र के लचीलेपन को दर्शाता है। यद्यपि इस क्षेत्र ने चुनौतियों का सामना किया है तथापि 1 से 29 दिनों के पिछले देय (डीपीडी) के स्तर और 30 से 59 दिनों के (डीपीडी) के स्तर में तेज वृद्धि हुई है, जो पोर्टफोलियो में तनाव के शुरुआती संकेतों की ओर ध्यान खींचता है, जिसके परिणामस्वरूप डीपीडी स्तरों में एक चिंताजनक समग्र वृद्धि हुई है।
इक्विफैक्स क्रेडिट इंफॉर्मेशन सर्विसेज प्रा लिमिटेड के प्रबंध निदेशक और इक्विफैक्स इंडिया व एमईए के कंट्री लीडर श्री के.एम. नानैया ने कहा, कि सिडबी के सहयोग से माइक्रोफाइनेंस पल्स रिपोर्ट का दसवां संस्करण व्यावसायिकों और नीति निर्माताओं के प्रमुख सवालों के समाधान के लिए अत्याधुनिक विश्लेषण प्रदान करता है। इस कठिन वर्ष में भी माइक्रोफाइनेंस उद्योग ने जून 2021 को समाप्त तिमाही में संवितरण में उल्लेखनीय वृद्धि के साथ साल-दर-साल सपाट संवृद्धि रखकर अपने आधार को बरकरार रखा है। उधारदाताओं में बैंकों ने 57 फीसदी की हिस्सेदारी के साथ संवितरण में संवृद्धि की इस अभियान का नेतृत्व किया है।
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