महराजगंज़ जनपद में किंग वल्चर प्रजाति का देश का पहला केंद्र होगा जिले का जटायु संरक्षण केंद्र - प्रथम 24 न्यूज़

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महराजगंज़ जनपद में किंग वल्चर प्रजाति का देश का पहला केंद्र होगा जिले का जटायु संरक्षण केंद्र


 

* अगले वर्ष से इस केंद्र पर रखे जाएंगे किंग वल्चर के 6 जोड़े–डीएफओ

तहसील ब्यूरो फरेंदा से मुहम्मद साजिद खान के साथ गणेश यादव की संयुक्त रिपोर्ट/

जनपद महाराजगंज के  फरेंदा क्षेत्र के भारीवैसी गांव में  गिद्धों की किंग वल्चर प्रजाति के लिए बनाया जाने वाला देश का यह पहला संरक्षण केंद्र होगा। इसकी योजना पिछले एक वर्ष से चल रही थी, जो इस वर्ष सफल हुई है।  मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ  के वर्चुअल शिलान्यास के बाद यह महत्वपूर्ण कार्य प्रारंभ हुआ है।  कुल पांच एकड़ भूमि में इसका निर्माण होगा।  यह प्रोजेक्ट 15 वर्षों में पूर्ण होगा लेकिन लगभग चार वर्षों में   कार्य प्रारंभ हो जाएगा और अगले वर्ष से 6 मेल फीमेल किंग वल्चर की प्रजाति के जोड़े इसमे रखे जाएंगे।

  डीएफओ अविनाश कुमार ने इस संबंध में  बातचीत में बताया कि देश में गिद्धों की नौ प्रजातियां पाई जाती हैं, इनमें किंग वल्चर को गिद्धों का राजा भी कहा जाता है। इनकी गर्दन लाल होती है। माना जाता है कि किंग वल्चर के हटने के बाद ही अन्य प्रजातियों के गिद्ध मृत मवेशियों के पास पहुंचते हैं। देश में गिद्धों के चार और संरक्षण केंद्र हैं लेकिन किंग वल्चर की प्रजाति के लिए यह देश का पहला संरक्षण केंद्र होगा।  गिद्धों की प्रजाति वर्तमान में संकटग्रस्त प्रजाति में शामिल हैं । गिद्ध इको सिस्टम की महत्वपूर्ण कड़ी माने जाते हैं। ये मृत पशुओं को खाकर पर्यावरण को स्वच्छ रखते हैं। इससे कई प्रकार की महामारी से रक्षा होती है। लेकिन विभिन्न कारणों से हाल के सालों में गिद्धों की संख्या तेजी से कम हो रही है। गिद्धों की प्रजाति पूरे देश मे विलुप्त होने के कगार पर थी। ऐसे समय में सोहगीबरवा वन्य जीव प्रभाग में गिद्ध दिखाई पड़ने लगे थे। इससे पर्यावरणविदों ने काफी खुशी व्यक्त की थी। विशेषज्ञों ने माना थी कि सोहगीबरवा का वातावरण उनके लिए काफी अनुकूल है। कुछ वर्ष पहले जिले में  एक रेल ट्रैक पर भारी संख्या में गिद्ध मृत पशु की लाश खाने में इतने मशगूल थे कि कब ट्रैन उनके ऊपर से गुजर गई उन्हें पता भी नहीं चला। गिद्धों की उपस्थिति को लेकर यह घटना काफी उत्साहवर्धक थी।

 एक आंकड़े के अनुसार 40 साल पहले देश में लगभग चार करोड़ गिद्ध थे। अब इनकी संख्या चार लाख से भी कम हो गई है। इसी वजह से ही यूपी सरकार इनके संरक्षण पर विशेष ध्यान दे रही है। भारीवैसी में केंद्र स्थापित होने से इनकी संख्या तेजी से बढ़ेगी। इस  किंग वल्चर संरक्षण केंद्र बनाए जाने से गिद्धों की विलुप्त हो रही प्रजातियों को बचाया जा सकेगा।

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