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कोरोना से एक भी हुई मौत, तो जिम्मेदार होंगे अधिकारी और कर्मचारी: जिलाधिकारी


प्रथम 24 न्यूज़ डेक्स।
बस्ती उत्तर प्रदेश।

जिलाधिकारी आशुतोष निरंजन ने निर्देश दिया है कि कोरोना वायरस से मौत के लिए अधिकारियों कर्मचारियों की जिम्मेदारी तय की जाएगी। कोरोना वायरस प्रत्येक मृत्यु की जांच कराई जाएगी। वे कलेक्ट्रेट सभागार में स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों के इलाज में लापरवाही कतई बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

उन्होंने कहा कि कोरोना कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों से सीएम हेल्पलाइन से सीधे बात करके उनका फीडबैक लिया जा रहा है। मरीजों ने बताया है कि डॉक्टर एवं पैरामेडिकल स्टाफ समय से उनको अटेंड नहीं करते हैं,समय से उनकी विभिन्न जांच नहीं की जाती हैं। जांच रिपोर्ट आने पर समय से उनको जानकारी नहीं दी जाती है। उनके परिवार के लोगों को मरीज की हालत के बारे में नहीं बताया जाता है।
जिलाधिकारी ने कहा कि आने वाले दिनों में क्वॉरेंटाइन सेंटर पर भी सीएम हेल्पलाइन से फोन आ सकता है, और वहां की व्यवस्थाओं के बारे में जानकारी ली जा सकती है। इसलिए सभी डॉक्टर एवं पैरामेडिकल स्टाफ सतर्क रहें और अपने कर्तव्यों का निर्वहन करें। कोरोना वायरस से बचा जा सकता है, शासन द्वारा इससे बचाव एवं रोकथाम के लिए प्रत्येक साधन उपलब्ध कराया जा रहा है। किसी प्रकार की कठिनाई होने पर तत्काल उनके संज्ञान में लाया जाए।

उन्होंने असंतोष व्यक्त किया कि 3-4 सीएचसी, पीएचसी को छोड़कर शेष पर ओपीडी में आने वाले मरीजों का जांच के लिए रिफर नहीं किया जा रहा है। वहां आने वाले सभी मरीजों को समुचित ढंग से अटेंड किया जाए तथा उनका इलाज भी किया जाए। कोरोना के संभावित मरीजों को तत्काल जांच के लिए जिला चिकित्सालय रेफर किया जाए।
जिलाधिकारी ने कहा कि गांव में बाहर से आए हुए लोगों के बारे में आशा सही सूचना नहीं दे रही हैं। कुछ आशाएं तो फोन भी नहीं उठा रही हैं जो बेहद आपत्तिजनक है। आशाओं को प्रत्येक तीसरे दिन बाहर से आए हुए लोगों के घर पर विजिट करना है तथा उनके स्वास्थ्य के बारे में जानकारी लेकर निगरानी समिति को तथा प्रभारी चिकित्साधिकारी को जानकारी देनी है, उनके द्वारा बाहर से आए हुए लोगों का रजिस्टर भी मेंटेन किया जाना है। उन्होंने सभी एमओआईसी को निर्देश दिया कि आशाओं के क्रियाकलाप पर नियंत्रण करें तथा सही सूचना प्राप्त करें।

उन्होंने कहा कि 10 वर्ष से कम आयु के बच्चों गर्भवती माताओं तथा 50 वर्ष से ऊपर आयु के व्यक्तियों के अलावा कैंसर, डायबिटीज, टीवी आदि गंभीर बीमारियों के रोगियों की क्लोज मॉनिटरिंग किया जाना है। इसमें किसी प्रकार की शिथिलता क्षम्य नहीं होगी। इसमें लापरवाही पाए जाने पर आशा के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई जाएगी।
उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस की रिपोर्ट नेगेटिव आने पर मरीज को डिस्चार्ज करने में विलम्ब न करें। उनको सही जानकारी दें, सभी का व्हाट्सएप ग्रुप बनाकर समय-समय पर शासन के निर्देशों तथा आवश्यक सावधानी के बारे में जानकारी देते रहें। कोरोना वायरस के खिलाफ जंग एक टीम वर्क है और इसमें सभी को अपना दायित्व निर्वहन करना होगा। फील्ड में तैनात डॉक्टर एवं पैरामेडिकल स्टाफ सही समय पर सही निर्णय लेने का कार्य करें।
बैठक में डॉक्टर जलज ने शासन द्वारा दिए गए कोरोना वायरस मरीजों के जांच, उनको डिस्चार्ज करने के बारे में विस्तार से जानकारी दिया। उन्होंने बताया कि ड्यूटी पर तैनात पैरामेडिकल स्टाफ मात्र 02 दिन के लिए क्वॉरेंटाइन किया जाएगा। पहले यह अवधि 14 दिन की थी। क्वॉरेंटाइन में रखे गए लोगों को उनके रिपोर्ट नेगेटिव आने पर ही छोड़ा जाएगा।
बैठक में सीडीओ सरनीत कौर ब्रोका, प्रधानाचार्य मेडिकल कॉलेज डॉ० नवनीत कुमार, सीएमएस डॉ०जीएम शुक्ला, सीएमएस डॉ० एके सिंह, डॉ० फखरेयार हुसैन, डॉ० सीके वर्मा, डॉ० सीएल कन्नौजिया तथा सभी प्रभारी चिकित्साधिकारी गण उपस्थित रहे।

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