महिला पत्रकार ने 161 के तहत सीओ निचलौल को दर्ज कराई षड्यंत्र करने वाला दरोगा के विरुद्ध बयान - प्रथम 24 न्यूज़

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महिला पत्रकार ने 161 के तहत सीओ निचलौल को दर्ज कराई षड्यंत्र करने वाला दरोगा के विरुद्ध बयान


कभी भी नप सकते हैं नायाब दारोगा

सभी षड्यन्त्रकारी नपेगा होगी जल्द कार्यवाही-सीओ निचलौल

शेषनाथ यादव की रिपोर्ट।
निचलौल-महराजगंज।
लगातार सप्ताह भर से सुर्खियों में में बने रहने वाले षड्यन्त्रकारी नायाब दारोगा पर अब आला अफसरों का सिकन्जा कसने लगा है।
दो टूक में सीओ निचलौल ने कहा कि षड्यंत्र कर मुकदमा दर्ज करने वाले नायाब दारोगा पर जल्द कार्यवाही की जाएगी जांच आरम्भ है बयान सभी का दर्ज किया जा रहा है।
 वही आज महिला पत्रकार ने बताया कि उसने 161 के तहत सीओ निचलौल को अपना लिखित बयान दे दिया है सीओ निचलौल ने कहा है कि पूरे प्रकरण को गम्भीरता से लिया जा रहा है तत्काल जांच कर कार्यवाही की जाएगी ।
महिला पत्रकार ने बताया कि आज उसने बयान के दौरान स्पष्ट कहा है कि नायाब दारोगा द्वारा महिला को प्रताड़ित किया जा रहा था।

खुद नायाब दारोगा द्वारा मुकदमा बोल-बोल साजिशन महिला के मुकदमे को सुलह कराने के लिए लिखवाया गया है कि मुकदमे के दबाव में महिला पत्रकार द्वारा दर्ज कराया गया मुकदमा कमजोर हो जाये और सुलह करले।
 अब पूरे मामले की जांच सीओ निचलौल को मिला है सीओ निचलौल उक्त प्रकरण से पूर्व अवगत भी हैं और महिला पत्रकार के एससीएसटी मुकदमे की जांच कर आरोप पत्र भी सौप चुके हैं।

 वहीं नायाब दारोगा द्वारा चुपके से मुकदमा लिख पत्रकारों को गेयर में लेने का दांव फेल हो गया है जिसकी जांच बेहद गम्भीर है और यदि संलिप्तता और षड्यंत्र नायाब दारोगा की जांच में उजागर होती है तब नायाब दारोगा पर भी कार्यवाही और मुकदमा दर्ज हो सकता है।
 क्योंकि पूरा मामला एससीएसटी एक्ट का मुकदमा दर्ज होने के बाद उसी विवाद में महज 30 मिनट के अंतराल में महिला पत्रकार व उसके परिवारीजनों के उसकी माँ और भाई पर लूट पाट धमकी धूड़की अबैध वसूली आदि से सम्बंधित मुकदमा 30 मिनट बाद दर्ज हुआ है।
महिला पत्रकार के मुकदमे का तुरन्त दर्ज होने के बाद बस यही समय और दिनांक ने ही पूरे मामले को संदेह के घेरे में ला कर खड़ा कर दिया है ।
वजह यह है कि सीएम यूपी का आदेश है कि पत्रकारों से सम्वन्धित आरोपों की जांच इंस्पेक्टर या सीओ रेंक के अफसर करेंगे और आरोप सही पाए जाने के बाद ही मुकदमा दर्ज करेंगे।
 पर यहां तो मामला ही उलट है जिस तरह महिला पत्रकार ने निवर्तमान एसएचओ और सीओ तथा पुलिस अधीक्षक से शिकायत के बाद मुकदमा दर्ज होने की बात बताई है उसने सवाल खड़ा कर दिया है कि आखिर एक तो महिला और दूसरे पत्रकार का मुकदमा एसपी,सीओ,एसएचओ से शिकायत के बाद दर्ज हुआ तो उसी मामले में एक सामान्य व्यक्ति के शिकायत पर क्या किसी  इंस्पेक्टर रैंक के अफसर या सीओ रेंक के अफसर ने मौके का निरीक्षण किया और जब निरीक्षण ही नही किया तब सरकार के आदेश के उलट ही कैसे एक पत्रकार पर मुकदमा दर्ज हुआ क्या उक्त नायाब दारोगा सरकार के फरमानों के विपरीत कार्य कर सत्ताशिन सरकार की थुथु नही करा रहा है।
इतना ही नही उक्त व्यक्ति ने कौन सी शक्ति इस्तेमाल किया कि उसका मुकदमा सिर्फ नायाब दारोगा से शिकायत करने पर  ही दर्ज हो गया है ।
और महिला पत्रकार को आला अफसरों की चौखटों तक भाग दौड़ करना पड़ा है।
आखिर क्यों ऐसा हुआ रही बात मामले में लूट, छिनैती या धमकी दे कर अबैध वसूली करने की बात तो वह तो पहले दर्ज मुकदमे की जांच में ही सीओ द्वारा स्पष्ट हो सकता था फिर क्यों नायाब दारोगा ने सीओ पर या उस पक्षकार ने सीओ की जांच का इंतजार नही किया।
 आखिर इन सब के बीच नायाब दारोगा का उस व्यक्ति से क्या सम्बन्ध था और एक एससीएसटी  एक्ट के मामले को प्रभावित करने की कोशिश बिना किसी दबाव या वजह के क्यों किया क्या यह माना जाए कि उसे ऐसा करने के लिए मोटी रकम मिली हुई थी।
तो गरीब व असहायों को न्याय कैसे मिलता होगा।
इस नायाब दारोगा के पास असहाय लोगों का क्या होता होगा जबकि उक्त दारोगा का हल्का नम्बर 2 को देखा जाए तो इस हल्के में मुसहर समुदाय के साथ बड़े पैमाने पर मजदूर वर्ग के लोग रहते है जो निहायत गरीब हैं ऐसे लोगों का फिर तो खून तक चूस लिया जाता होगा ।
फिलहाल अब जांच सीओ निचलौल को मिला है जिन्हें अच्छे कार्यो के लिए कई प्रस्सति पत्र भी  महामहिम राष्ट्रपति महोदय तक से मिला है।
ऐसे में इनकी जांच पर क्षेत्र के पत्रकारों और आम जन की निगाहें गड़ी हुई है और जांच रिपोर्ट पुलिस की कार्यप्रणाली पर भरोषा आम लोगों और पत्रकारों का बढ़ा भी सकती है और कम भी कर सकती है फिलहाल अब यह तो आने वाला समय ही तय करेगा।

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